हिंदी दिवस पर श्रीराम कथा का भव्य आयोजन, पंडिता गौरांगी गौरी की अद्भुत वाणी ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध

हिंदी दिवस पर श्रीराम कथा का भव्य आयोजन, पंडिता गौरांगी गौरी की अद्भुत वाणी ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
हिंदी प्रसारिणी सभा नाशिक के सौजन्य से सफल आयोजन
नाशिक, 14 सितम्बर।
हिंदी दिवस के पावन अवसर पर हिंदी प्रसारिणी सभा, नाशिक द्वारा आयोजित पाँच दिवसीय श्रीराम कथा का समापन अत्यंत भावपूर्ण और भव्यता के साथ संपन्न हुआ। कथा के अंतिम दिन अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कथा वाचिका पंडिता गौरांगी गौरी ने श्रीराम जन्म से कथा का शुभारंभ करते हुए अपने प्रभावशाली वाणी और विशिष्ट शैली से उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। कथा की पूर्णाहुति भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह के दिव्य प्रसंग के साथ हुई, जिसने समस्त वातावरण को भक्ति और आनंद से भर दिया।
1992 में स्थापित हिंदी प्रसारिणी सभा नाशिक, संस्था के संस्थापक अध्यक्ष श्री बक्षीराम गुलेरिया के मार्गदर्शन में निरंतर हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु सक्रिय रही है। संस्था के कार्यों की पहचान नाशिक ही नहीं, अपितु संपूर्ण महाराष्ट्र में देखी जा सकती है।
इस विशेष आयोजन को सफल बनाने में संस्था के संरक्षक श्री के.सी. पांडेय, श्री संतबहादुर सिंह, अध्यक्ष श्री कृपाशंकर सिंह, उपाध्यक्ष प्रहलाद सिंह, महामंत्री संजीव चतुर्वेदी, श्री मनीष मिश्रा, नागेंद्र सिंह, रामप्रकाश सिंह सहित अनेक समर्पित कार्यकर्ताओं ने तन, मन और धन से योगदान दिया।
संस्था द्वारा गत 10 वर्षों से हिंदी सप्ताह नाशिक में मनाया जाता रहा है। हिंदी भाषा के प्रचार के साथ-साथ सामाजिक सेवा भी संस्था की विशेष पहचान रही है। संस्था के अध्यक्ष श्री कृपाशंकर सिंह और सचिव श्री संजीव चतुर्वेदी की कर्मठ जोड़ी के प्रयासों से संस्था नाशिक के कोने-कोने तक अपनी उपस्थिति दर्ज कर चुकी है।
रामकथा, कवि सम्मेलन, और विविध सामाजिक सहायता कार्यों जैसे – असहाय रोगियों के अस्पताल बिलों का भुगतान, जरूरतमंद परिवारों को राशन उपलब्ध कराना, आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों की फीस भरना आदि कार्यों में संस्था की कार्यकारिणी दिन-रात निःस्वार्थ भाव से लगी रहती है। इन प्रयासों में पूरे नाशिक शहर के लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
सलाहकार श्री ठाकुर भुवाल सिंह ने जानकारी दी कि संस्था के सभी सदस्य अपनी जिम्मेदारी को निष्ठा और सेवा-भाव से निभाते हैं, और भविष्य में भी ऐसे आयोजनों द्वारा हिंदी भाषा, संस्कृति और मानवीय मूल्यों को आगे बढ़ाने का कार्य जारी रहेगा।