जौनपुर के त्रिलोकी नाथ पुजारी – जिनके आशीर्वाद से दूर होते हैं सभी कष्ट, पूरी होती हैं मनोकामनाएं
जौनपुर: जनपद के मड़ियाहूं तहसील अंतर्गत अहिरौली (गोपालापुर) गांव के निवासी पुजारी त्रिलोकी नाथ सरोज श्रद्धा और आस्था का ऐसा केंद्र बन चुके हैं, जिनके पास जाने से लोगों के सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। जनविश्वास है कि पुजारी त्रिलोकी नाथ पर मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद है, और उनके द्वारा कही गई हर बात सत्य साबित होती है।
नवरात्रि में 9 दिन का निर्जल व्रत: अद्भुत तपस्या
पुजारी त्रिलोकी नाथ हर वर्ष नवरात्रि में एक अनूठी और कठोर साधना करते हैं। वे बिना जल ग्रहण किए पूरे नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। यह व्रत वे बरसठी थाना क्षेत्र के अंतर्गत स्थित गहलाई (रायपुर) गांव के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ मां दुर्गा मंदिर में करते हैं। पूरे नवरात्रि के दौरान वे वहीं प्रवास करते हैं और देवी मां की आराधना में लीन रहते हैं।
यह व्रत कोई साधारण तपस्या नहीं, बल्कि श्रद्धा, आत्मविश्वास और मां दुर्गा के प्रति अपार भक्ति का प्रमाण है। लोगों का कहना है कि इस तपस्या के दौरान पुजारी त्रिलोकी नाथ किसी भी प्रकार का अन्न या जल ग्रहण नहीं करते – केवल मां के नाम का जाप करते हैं।
कई जनपद से आते हैं श्रद्धालु
पुजारी त्रिलोकी नाथ की ख्याति अब सिर्फ उनके गांव या जिले तक सीमित नहीं रही। उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लोग अपनी समस्याएं लेकर उनके पास आते हैं। चाहे बीमारी हो, पारिवारिक समस्या, व्यापार में रुकावट या अन्य कोई जीवन संकट – श्रद्धालुओं का विश्वास है कि पुजारी जी से मिलने के बाद राहें आसान हो जाती हैं।
मनोकामना पूर्ति का स्थान
गहलाई स्थित मां दुर्गा मंदिर और पुजारी त्रिलोकी नाथ सरोज अब मनोकामना पूर्ति के एक मजबूत केंद्र बन चुके हैं। कई श्रद्धालु बताते हैं कि उन्होंने जो भी मन्नत मांगी, पुजारी जी के आशीर्वाद से वह पूरी हुई। कुछ लोग तो उन्हें “चलती-फिरती सिद्धि” भी कहते हैं।
समाजसेवा और सादगी का जीवन
पुजारी त्रिलोकी नाथ न केवल धार्मिक व्यक्ति हैं, बल्कि समाजसेवा में भी हमेशा अग्रणी रहते हैं। वे सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और अपने गांव में भी सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए प्रयासरत रहते हैं।
श्रद्धा या चमत्कार – आस्था पर टिका है सबकुछ
पुजारी त्रिलोकी नाथ सरोज से जुड़ी कहानियां सुनने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत में आस्था आज भी जीवंत है। जहां विज्ञान जवाब नहीं दे पाता, वहां विश्वास और भक्ति के ऐसे उदाहरण लोगों को मानसिक और आत्मिक शांति देते हैं।
निष्कर्ष:
जौनपुर के त्रिलोकी नाथ पुजारी आज के समय में एक जीवंत प्रेरणा हैं कि जब भक्ति सच्ची हो, तो कठिन से कठिन तपस्या भी संभव है और मनुष्य लोगों के दुखों का समाधान भी बन सकता है। उनकी आस्था और साधना ने उन्हें जनता के हृदय में एक विशेष स्थान दिलाया है।

