भारत का टेक्सटाइल सेक्टर: 2025 में नई उड़ान, वैश्विक बाजार में बढ़ रही मांग
नई दिल्ली। भारत का टेक्सटाइल उद्योग एक बार फिर तेज रफ्तार पकड़ रहा है। वैश्विक बाजारों में भारतीय फैब्रिक, हैंडलूम और टेक्निकल टेक्सटाइल की बढ़ती मांग से उद्योग में नई जान आ गई है। केंद्र सरकार की नीतिगत सहायता, निर्यात में वृद्धि और आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल ने इस सेक्टर को 2025 में सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में शामिल कर दिया है।
भारत का टेक्सटाइल—एक नज़र
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेक्सटाइल एवं परिधान उत्पादक देश है। इस उद्योग में:
- करीब 4.5 करोड़ लोगों को सीधा रोजगार
- 6 करोड़ से अधिक लोगों को परोक्ष रोजगार
- देश के कुल निर्यात में 10% से अधिक योगदान शामिल है।
2025 में भारत का टेक्सटाइल बाजार 250 बिलियन डॉलर के पार जाने का अनुमान विशेषज्ञों ने जताया है।
निर्यात में तेजी—अमेरिका और यूरोप में बढ़ी मांग
इस वर्ष भारत से कपास, यार्न, रेडीमेड गारमेंट्स और टेक्निकल टेक्सटाइल की मांग में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।
- अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और UAE मुख्य बाजार बने हुए हैं।
- हैंडलूम और हस्तकरघा उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों में शानदार प्रतिक्रिया मिली है।
- स्पोर्ट्स टेक्सटाइल, मेडिकल टेक्सटाइल और होम फर्निशिंग सेगमेंट तेज़ी से उभर रहे हैं।
सरकार की पहल—उद्योग को मिली नई रफ्तार
सरकार ने टेक्सटाइल सेक्टर की रफ्तार बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं:
- PM MITRA पार्क योजना के तहत देशभर में 7 मेगा टेक्सटाइल पार्क बन रहे हैं।
- PLI स्कीम (उत्पादन आधारित प्रोत्साहन) से बड़े निवेशकों को प्रोत्साहन।
- MSME यूनिट्स को आधुनिक मशीनरी के लिए सब्सिडी एवं आसान ऋण।
- हैंडलूम क्षेत्र में ई-कॉमर्स और डिजिटल मार्केटिंग को बढ़ावा।
यूपी में तेजी से बढ़ता टेक्सटाइल हब
उत्तर प्रदेश में वाराणसी, भदोही, जौनपुर, मेरठ और लखनऊ तेजी से टेक्सटाइल के नए हब बन रहे हैं।
- वाराणसी के बुनकरों को निर्यात ऑर्डर में उछाल।
- पावरलूम और हैंडलूम क्लस्टर में आधुनिक मशीनों की स्थापना।
- युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों से रोजगार बढ़ा है।
2025 में टेक्सटाइल उद्योग के सामने चुनौतियाँ
हालाँकि विकास तेज़ है, पर चुनौतियाँ भी हैं—
- कच्चे माल की बढ़ती लागत
- वैश्विक मंदी का प्रभाव
- चीन और बांग्लादेश से कड़ी प्रतिस्पर्धा
- बिजली लागत और लॉजिस्टिक चुनौतियाँ
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकारी समर्थन और तकनीकी अपग्रेडेशन इसी गति से चलता रहा तो भारत 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा टेक्निकल टेक्सटाइल निर्यातक बन सकता है।
निष्कर्ष
भारत का टेक्सटाइल सेक्टर इस समय अपने स्वर्णिम दौर में है। रोजगार, निर्यात और नवाचार—तीनों मोर्चों पर उद्योग तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। 2025 भारत के कपड़ा उद्योग के लिए अवसरों से भरा वर्ष साबित हो रहा है।


