बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया कुटीर संस्थान चक्के का 89 वां स्थापना दिवस
रिपोर्ट-मनोज कुमार सिंह
जलालपुर —- 89 वाँ कुटीर संस्थान संस्थापना दिवस एवं श्री गीता जयंती समारोह का आयोजन सोमवार को मुक्तांगन कुटीर पीजी कॉलेज चक्के में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वैदिक सचिन शर्मा रुद्रांश वाराणसी ने कहा कि सभी उपनिषदों का सार गीता है। धर्म का आचरण करना हमको गीता सिखाती है। यह संस्थान पूजनीय संस्थापक जी के तपोबल से सभी धर्म का संगम स्थल है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री श्री 1008 अंजनी नंदन दास जी महाराज हरिद्वार ने कहा कि धैर्य एवं उत्साह का सृजन हम सभी को गीता से प्राप्त होती है। हमारे संस्कृति के ऋषियों ने किसी भी अनुसंधान में अपना नाम रखना उचित नहीं समझा, आज सभी जीव सुख चाहते है, किन्तु मिलता दुख है इसका प्रमुख कारण उसका स्वयं का कर्म है। जीवन में प्रवृत्ति का होना आवश्यक है निवृत्ति अपने आप समाप्त हो जाती है। कुटीर संस्थान के व्यवस्थापक डॉ अजयेंद्र कुमार दुबे ने कहा कि दुर्लभ संयोग सत्संग से प्राप्त होता है। का बरसा जब कृषि सुखाने को रेखांकित करते हुए उन्होंने सभी छात्रों को बताया कि मेहनत इतना करिए कि आपकी आने वाली पीढ़ी आपका गुणगान करे। महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया गीता पाठ का गायन एवं नारीशक्ति का वंदन करते हुए बताया कि रामायण एवं महाभारत काल से भारत भूमि की राजमाताओं ने अपनी कोख से सदैव वीर योद्धाओं को जन्म दिया है। कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य प्रो राघवेंद्र कुमार पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम के शुभारंभ में छात्राओं द्वारा श्री गीता जी के एकादश अध्याय का सस्वर पाठ, भजन गायन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के सेवानिवृत्तशिक्षको एवं सर्वोत्कृष्ट छात्रों को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर पंडित श्रीभूषण मिश्र, पूर्व प्राचार्यगण डॉ कृष्णदेव चौबे, प्रो रमेश मणि त्रिपाठी, डॉ आरपी त्रिपाठी , डॉ.अशोक पाण्डेय, प्रो अमरेश कुमार, डॉ दिवाकर मिश्र, प्रभाकर त्रिपाठी पूर्व डाक अधीक्षक, डॉ विजय कुमार मौर्य, पूर्व प्रधानाचार्य हरीश प्रसाद शुक्ल, चंद्रदेव मिश्र, हरिनाथ दुबे। समेत सभी इकाइयों के प्रधानाचार्य एवं शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुज कुमार शुक्ल एवं डॉ नीता तिवारी ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान एवं वंदे मातरम से हुआ।



