गांगेय डॉल्फिन देखने पहुंचे कमान्डेंट 95 बटालियन सीआरपीएफ
चौबेपुर से विरेन्द्र प्रताप उपाध्याय की रिपोर्ट
चौबेपुर वाराणसी क्षेत्र में – जलज सफारी से डाल्फिंन देखकर कमान्डेंट सह परिवार सहित बहुत खुश हुये। और भारतीय वन्यजीव संस्थान के इस पहल को बहुत ही सराहनीय योगदान बताया और सभी गंगा प्रहरी व मछुआरों को इस मुहिम को जोड़कर आगे बढ़ाना होगा ।बताते चलें कि मुख्यालय से 25 किमी दूर गंगा ग्राम ढाका में श्री गौरीशंकर महादेव गंगा घाट तट पर बने भारतीय वन्यजीव संस्थान से डाल्फिंन जलज सफारी का लुत्फ उठा रहे हैं और पर्यटकों के मन में गांगेय डॉल्फिन देख कर काफी हर्षोल्लास हो रहे हैं पिछले दिने नव वर्ष पर डाल्फिंन देखने वदर्शन करने काफी संख्या में पर्यटक आये और यहां श्रीगौरीशंकर महादेव का पुजन अर्चन कर गंगा किनारे व जलजसफारी का आनंद भी लिए।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन मेंकार्य कर रहे।स्थानिय गांव से गंगा प्रहरी नागेन्द्र कुमार निषादफिल्ड अस्सिस्टेन्ट नेलगातार जलीय जीवो को संरक्षण में एक अथक प्रयास कररहें जिससे किनारे रह रहेमछुआ समुदाय जो गंगा पर निर्भर है वह भी हम सब गंगाप्रहरी का सहयोग कर रहे है।जिस प्रकार से आज गंगा कापानी स्वच्छ के साथ ही गंगा मे राष्ट्रीय जलिव जीव डाँल्फिन दिखाई दे ऌरही है वहीं श्री गौरी शंकर महादेव मन्दीर गंगा घाट ढाका के ऌसामने गंगा में अठखेलियां करती हुई दिखाई दे रही है इस घाट पर दिन प्रतिदिन पर्यटक,दर्शनार्थिय आते रहते हैं।
और यहां घाट पर स्थानीय नाविकों का मानना है कि यहां 25 से ज्यादे संख्या में डाँल्फिंन देखाई पढ़ती है।इससे जुडे विशेषज्ञ अनुसार गंगा का जलस्तर जैसै जैसे अपने निचले स्तर पर पहुंच जाता है जहां उसे आसानी से भोजन के रुप में मछली मिल जाती है गर्मी के समय में मछलियों को पकड़ने व अठखेलियां करना बहुत ही तेज हो जाता है।ढाका गांव के सामने डाँल्फिंन दिखाई पडने से गंगा की स्वच्छता की भी पता चलता है विशेषज्ञ गौरा चन्द्र दास का मानना है कि एक डाँल्फिंन साधारण तौर पर तीस सेकंड एक सौ विस सेकंड के बाद पानी के अंदर से बाहर कुछ पल के लिए वह सास लेने उपर आती रहती है। विषेशज्ञों का मानना है कि इनके आंख से दिखाई नहीं पड़ता है और यह अपने सिकार को अपने अन्दर से आवाज सुं नाम से निकालती है जिससे आवाज अगर वापस आ गई तो उधर ही भागती है मछली को पकड़ने के लिए।
राष्ट्रीय जलीय जीव डांल्फिन को इधर मछुआरों सोईस के नाम से जानते है भारतीय वन्य जिव संस्थान से गंगा प्रहरी नागेन्द्र कुमार निषाद फिल्ड अस्सिस्टेन्ट ने वताया कि पूरे पांच राज्यो मे ट्रेन्ड गंगा प्रहरी लगातार जलिय जिवो के संरक्षण में लगे हुये।
कुछ इसी तरह वाराणसी के गंगा किनारो घाटो पर सवसे ज्यादे मात्रा में में ढाका के घाटो पर दिखाई पड़ती है यहां मछुआरों अपने भाषा में सोईस के नाम से पुकारते हैं डाल्फिंन के विषय में जानने के लिए पर्यटकों को घाट पर सिलापट्ट लगाया गया है।
भारतीय वन्य जिव संस्थान से कम्मूनिटी आफिसर सुनिता रावत ने यह जानकारी दी कि संस्थान से पर्यटको को देखने व डाल्फिन के विषय में जानने के लिए एक डांल्फिन सिलापट्ट गांगा घाट पर लगाया गया है और डाल्फिंन दिखाने के लिए स्थानीय नाविकों का नाव जिसपे जलिय जिव का चित्र बनाया गया है और उन्हें ट्रेन्ड किया गया है
जिससे नाविकों को एक नया रोजगार का साधन बन रहा है जिससे वह नाविक पर्यटक को घुमाते हैं और जलिय जिव संरक्षण के विषय में जागरूक किया करते हैं।इस अवसर पर गंगा प्रहरी मिथीलेश, प्रमोद,गौतम, जितेंद्र,बालिचरन, मौजूद थे।