Career in Electronics Communications Engineering:कोर्स, नौकरी और तरक्की की संभावनाएं जानिए क्यों है ये बेहतर|

आंकड़ों की मानें तो पिछले कुछ समय में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अच्छी तेजी देखने को मिली है। डिजिटल तकनीक के प्रसार में तेजी आने के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के नए…
आंकड़ों की मानें तो पिछले कुछ समय में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अच्छी तेजी देखने को मिली है। डिजिटल तकनीक के प्रसार में तेजी आने के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के नए मौके बने हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशंस, इंजीनियरिंग की प्रमुख शाखाओं में शामिल है। जानकारों की मानें तो इस क्षेत्र में रोजगार की कभी कमी नहीं देखी गई। इस कोर्स की अच्छी बात यह है कि युवा टेलीकॉम इंडस्ट्रीज और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज, दोनों में काम तलाश सकते हैं। वैसे, यह क्षेत्र काफी बड़ा है। इसके तहत माइक्रोवेव और ऑप्टिकल कम्यूनिकेशन, सिग्नल प्रोसेसिंग, टेलीकम्यूनिकेशन, एडवांस्ड कम्यूनिकेशन, माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इंजीनियरिंग की यह शाखा रोजमर्रा की जिंदगी में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।
सरल शब्दों में बात करें तो इंजीनियरिंग की इस विधा के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क, इलेक्ट्रिक मैग्नेटिक फील्ड, कंप्यूटर फंडामेंटल आदि के सिद्धांतों का व्यावहारिक प्रयोग किया जाता है। इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन, टेबलेट्स, प्रोसेसर, स्मार्ट रिस्ट वॉच, स्मार्ट एलईडी टेलीविजन, लैपटॉप, कंप्यूटर सहित अन्य कम्यूनिकेशन उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के विकास, टेस्टिंग तथा प्रोडक्शन के काम के दौरान किया जाता है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि आज के दौर में इंजीनियरिंग की इस की विधा की ‘कटिंग एज टेक्नोलोजी’ के तौर पर पहचान बन चुकी है।
इंडस्ट्री में क्या हैं संभावनाएं
जून 2021 के मॉन्स्टर एम्पलॉयमेंट इंडेक्स की मानें, तो टेलीकॉम और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर सेक्टर में बीते साल की तुलना में 39 फीसदी की वृद्धि हुई है। साथ ही, इस अवधि में टेलीकॉम इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा नियुक्तियां हुई हैं। अनुमान है कि टेलीकॉम इंडस्ट्री में इस साल कार्यबल में दस फीसदी की वृद्धि होगी और इसके लिए भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स और क्लाउड जैसी तकनीकों में माहिर लोगों की ज्यादा मांग होगी। वहीं दुनिया की सबसे तेज विकास करने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन इंडस्ट्री जल्द ही दो खरब डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएगी, जिसमें भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विस इंडस्ट्री के 2025 तक 6.5 गुना बढ़ जाने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि भारत की कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड एप्लाएंसेज इंडस्ट्री 2025 तक विश्व में पांचवें नंबर पर पहुंच जाएगी।
क्या होगा शिक्षा का रास्ता
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग बहुत महत्त्वपूर्ण इंजीनियरिंग है और भारत के विभिन्न संस्थानों में प्रतिवर्ष हजारों छात्र इस कोर्स में एडमिशन लेते हैं। यह कोर्स छात्रों को टेलीकॉम इंडस्ट्री और सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री से सम्बद्ध दो विभिन्न सेक्टरों में भी आकर्षक जॉब ऑफर उपलब्ध करवाए
डिप्लोमा कोर्स: यह तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स देश भर में स्थित सरकारी और निजी पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग संस्थानों से किया जा सकता है। एडमिशन के लिए जरूरी है कि 12वीं में मैथ्स-फिजिक्स सहित विज्ञान के अन्य विषय हों। नामी संस्थानों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिले दिए जाते हैं, जबकि अन्य संस्थान 12वीं की मेरिट के आधार पर कोर्स में एडमिशन देते हैं। इस डिप्लोमा के बाद बैचलर्स इंजीनियरिंग डिग्री भी लैटरल एंट्री के माध्यम से की जा सकती है। बाद में मास्टर्स और पीएचडी सरीखे कोर्स के विकल्प भी हैं।
बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी : इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में बी.टेक. एक चार-वर्षीय अंडरग्रेजुएट लेवल डिग्री कोर्स है। इस कोर्स में इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन के विषय को एक साथ पढ़ाया जाता है। इस कोर्स को पढ़ने वाले छात्र इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, सर्किट्स, ट्रांसमीटर, रिसीवर, इंटीग्रेटेड सर्किट्स जैसे कम्यूनिकेशन इक्विपमेंट के बारे में सीखते और जानकारी प्राप्त करते हैं।
किसी भी अंडरग्रेजुएट लेवल के इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लेने के लिए आवश्यक न्यूनतम योग्यता है- फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में से कोई एक विषय मुख्य विषय के तौर पर लेकर 12वीं कक्षा उत्तीर्ण होना। पात्रता के लिएन्यूनतम अंक विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अलग-अलग हो सकते हैं।