IIT जोधपुर ने विकसित की एक नयी तकनीक जिससे चेस्ट X -RAY से लगाया जा सकेगा कोविड का पता ..

तकनीक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर (IIT-J) के शोधकर्ताओं द्वारा हाल ही में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित छाती एक्स-रे तकनीक विकसित की गई थी। इस चेस्ट एक्स-रे तकनीक का इस्तेमाल कोविड-19 की स्क्रीनिंग के लिए किया जाएगा।

मुख्य बिंदु
शोधकर्ताओं की टीम ने COMiT-Net नामक एक गहन शिक्षण-आधारित एल्गोरिथम प्रस्तावित किया है।
यह एल्गोरिथम गैर-कोविड प्रभावित फेफड़े को कोविड प्रभावित फेफड़े से अलग करने के लिए छाती के एक्स-रे छवियों में मौजूद असामान्यताओं (abnormalities) की जानकारी एकत्रित करेगा।

प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए 2,500 से अधिक छाती एक्स-रे छवियों के साथ प्रयोग किया गया था। इसने लगभग 96.80% संवेदनशीलता हासिल की।
इस शोध में इस्तेमाल AI समाधान चिकित्सा के साथ-साथ एल्गोरिथम दोनों दृष्टिकोणों से व्याख्या योग्य है।

खोज का महत्व
दुनिया भर में कई लहरों में कोविड -19 मामलों की बढ़ती संख्या के बीच, दूरस्थ क्षेत्रों में प्रसंस्करण केंद्रों और परीक्षण किटों की सीमित उपलब्धता के साथ देशों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। सीमित उपलब्धता ने शोधकर्ताओं को परीक्षण के वैकल्पिक, विश्वसनीय, तेज और आसानी से सुलभ तरीके विकसित करने के लिए प्रेरित किया।

AI-बेस्ड एक्स-रे तकनीक
स्कॉटिश शोधकर्ताओं ने हाल ही में AI-आधारित एक्स-रे तकनीक भी विकसित की है। यह तकनीक कोविड संक्रमण का पता लगाने के लिए वर्तमान में उपयोग किए जा रहे PCR परीक्षणों की जगह ले सकती है। यह तकनीक कुछ ही मिनटों में कोविड-19 का सटीक निदान करने में सक्षम पाई गई। यह PCR परीक्षण की तुलना में कहीं अधिक तेज है।

क्या यह तकनीक पूरी तरह से PCR टेस्ट की जगह ले लेगी?
AI-आधारित एक्स-रे तकनीक पूरी तरह से PCR परीक्षणों की जगह नहीं ले सकती क्योंकि, संक्रमण के शुरुआती चरणों में एक्स-रे में कोविड -19 लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। हालांकि, यह फैलने वाले वायरस के प्रसार को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (RT-PCR)
RT-PCR एक प्रयोगशाला तकनीक है, जो DNA में RNA के रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन को जोड़ती है। यह पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (Polymerase Chain Reaction – PCR) का उपयोग करके विशिष्ट डीएनए लक्ष्यों को भी एम्पलीफाई करता है। इस तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से विशिष्ट RNA की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है।

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