Jaunpur : प्रेमिका की जिद पर झुके दोनों परिवार, शिव मंदिर में प्रेमी-प्रेमिका की धूमधाम से हुई शादी

प्रेमिका की जिद पर झुके दोनों परिवार, शिव मंदिर में प्रेमी-प्रेमिका की धूमधाम से हुई शादी

गौराबादशाहपुर,जौनपुर |

“जब इरादे सच्चे हों और दिल में बस एक-दूसरे के लिए प्यार हो, तो समाज की दीवारें भी आखिरकार झुक ही जाती हैं।”

जौनपुर जिले के गौराबादशाहपुर क्षेत्र में एक सच्चे प्रेम की मिसाल पेश करते हुए दो प्रेमियों ने आखिरकार समाजिक स्वीकृति के साथ सात फेरे लिए। ये कहानी सिर्फ एक प्रेम विवाह की नहीं, बल्कि जिद, हिम्मत, भरोसे और परिवारों की समझदारी की मिसाल है।

गांव की पगडंडियों से शुरू हुई प्रेम कहानी

भदेवरा गांव के रहने वाले खुशिहाल राजभर और आरा गांव की एक युवती के बीच की प्रेम कहानी कोई फिल्मी स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि हकीकत है। दोनों की मुलाकात किसी पारिवारिक कार्यक्रम में हुई थी, जहां पहली बार नज़रों ने एक-दूसरे से बात की। धीरे-धीरे ये मुलाकातें बातों में बदलीं, और फिर मन ही मन दोनों ने एक-दूसरे को जीवन साथी मान लिया।

समाज की बंदिशों और गांव की परंपराओं के कारण दोनों ने अपने रिश्ते को बहुत दिनों तक छुपाकर रखा। मगर, दिल की भावनाएं कब तक छुपती? आखिरकार दोनों ने मिलने का फैसला किया, लेकिन किस्मत ने उन्हें एक कठिन मोड़ पर ला खड़ा किया।

पकड़े जाने के बाद तनाव, लेकिन प्रेमिका नहीं डरी

शुक्रवार की रात जब खुशिहाल अपनी प्रेमिका से मिलने उसके गांव पहुंचा, तो वहां के परिजन पहले से सतर्क थे। उन्होंने उसे पकड़ लिया, और माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया। सूचना पाकर लड़के के परिजन भी पहुंच गए। बात बढ़ती जा रही थी, लेकिन तभी समाजसेवी सत्यानंद चौबे और स्थानीय पुलिस ने समझदारी से हस्तक्षेप किया।

थाने में युवती ने बिना किसी डर के साफ शब्दों में कहा,

“मैं उसी के साथ शादी करूंगी, चाहे जो भी हो जाए।”
उसकी यह अटल जिद, प्रेम में विश्वास और निडरता ने दोनों परिवारों को सोचने पर मजबूर कर दिया।

थाने से मंदिर तक का सफर – और सात फेरों की मंज़िल

जब पुलिस ने देखा कि दोनों बालिग हैं और उनकी आपसी सहमति स्पष्ट है, तो परिजनों को समझाकर हलफनामा तैयार करवाया गया। इसके बाद समाजसेवी सत्यानंद चौबे के प्रयासों से सोमवार को बंजारेपुर स्थित शिव मंदिर में विवाह की तारीख तय की गई।

शिवलिंग के समक्ष, अग्नि को साक्षी मानकर, सात फेरों के साथ जब खुशिहाल ने अपनी प्रेमिका की मांग में सिंदूर भरा, तो दोनों के आंखों से खुशी के आँसू बह निकले। भीड़ में मौजूद हर शख्स की आंखें नम थीं, मगर होंठों पर मुस्कान थी – क्योंकि प्रेम जीत गया था।

समाज को मिला नया संदेश

शादी के बाद दोनों परिवारों ने भी आपसी मतभेदों को भुलाकर नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।
यह कहानी सिर्फ खुशिहाल और उसकी प्रेमिका की नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं की प्रेरणा है जो प्रेम तो करते हैं, मगर समाज की बेड़ियों से डरते हैं।

समाजसेवी को मिला सम्मान

इस घटना में समाजसेवी सत्यानंद चौबे की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। उन्होंने न केवल दोनों पक्षों को शांत किया, बल्कि स्थिति को तनावपूर्ण होने से पहले ही सुलझा लिया। उनके प्रयासों की हर ओर सराहना हो रही है।

 

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