Jaunpur : राम-केवट संवाद सुन भाव-विभोर हुए श्रोता
Jaunpur : राम-केवट संवाद सुन भाव-विभोर हुए श्रोता
अनिल पांडेय
जौनपुर। तेजी बाजार थाना क्षेत्र के बरचौली गांव में चल रहे पांच दिवसीय श्री राम कथा अमृत वर्षा के पांचवें दिन समापन अवसर पर कथा वाचक मानस गंगा प्रियंका पांडेय ने आज की कथा में राम-केवट संवाद कथा को आगे बढ़ाते हुएने कहा कि शिव ने पार्वती से कहा कि जब राम, लखन व सीता पिता के वचनानुसार वनवास के लिए चले तो राम ने गंगा नदी पार करने के लिए निषादराज केवट से नौका मांगी ¨कतु ‘मांगी नाव न केवट आना, कहहि तुम्हार मरम मैं जाना।’ भगवान शिव के ऐसे प्रसंग को सुनकर गौरा विचलित हो उठी और बोली कि जिस राम ने वामना अवतार में महाराजा बलि से तीन पग में तीनों लोक नाप लिया था तो उनको नौका कि जरुरत क्यों पड़ी।
भगवान शिव ने कहा हे महाकाली नौका मांगने के पीछे का रहस्य आज मैं तुम्हे सुनाता हूं सो सुनो। एक बार देवराज इंद्र की सभा में गंधर्व चित्रकेतु गीत सुना रहे थे। वहां सभी देवता व संत ऋषि मौजूद थे। उनमें महाक्रोधी दुर्वासा भी मौजूद थे। गीत चल ही रहा था कि चित्रकेतु से व्यंग हो गया।
इस पर दुर्वासा कुपित हो गए तथा चित्रकेतु को वृक्ष होने का श्राप दे दिया। चित्रकेतु के अनुनय-विनय पर दुर्वासा द्रवितभूत हो गए और मुक्ति का मार्ग बताते हुए कहा कि जब राम वनवास के लिए गंगा पार करेंगे तब तुम्हारे वृक्ष की लकडी़ से बनी नौका में पैर रखते ही तुम्हारा उद्धार हो जायेगा। इसलिए हे भवानी भगवान राम ने चित्रकेतु की मुक्ति व दुर्वासा के कथनों को सत्य करने के लिए नौका की मांग की।
शैलपुत्री ने कहा वो तो ठीक है पर केवट भगवान को नौका में क्यों नही बैठा रहा था इस पर भोले नाथ ने कहा कि निषाद बहुत ही चालाक था वह उतराई के बदले धन नहीं अपितु स्वयं के भवसागर से उतारने में प्रभु की सहायता की प्रभु के चरण धुलने की मांग कर रहा था, इसलिए नौका नहीं लाया। जब प्रभु ने सारी शर्ते स्वीकार कर ली तो केवट ने भगवान को गंगा पार करा दिया। इस दौरान कथा आयोजक डॉक्टर हरिशंकर शुक्ला ने कथा वाचिका का माल्यार्पण कर स्वागत किया आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया इस दौरान जितेंद्र शुक्ला अरविंद कुमार सिंह धर्मेंद्र कुमार सिंह पंडित विमलेश कुमार सुनील कुमार उपस्थित रहे