Jaunpur news:कुपुत्र पैदा होने से अच्छा ही है निःसंतान का होना – स्वामी विनोदानंद सरस्वती जी महराज
Jaunpur news:कुपुत्र पैदा होने से अच्छा ही है निःसंतान का होना – स्वामी विनोदानंद सरस्वती जी महराज
जौनपुर।बदलापुर क्षेत्र के उमा बैजंती पब्लिक स्कूल शाहपुर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन मंगलवार को बद्रिकाश्रम से पधारे स्वामी विनोदानंद सरस्वती जी महराज ने कहा कि नि:संतान होना कहीं कुपुत्र पैदा होने से ज्यादा अच्छा है।
कम से कम परिवारी जनों को परेशानी का सामना तो नहीं करना पड़ेगा।
उन्होंने आत्मदेव व धुंधली की कथा सुनाते हुए कहा कि आत्मदेव एक गरीब ब्राह्माण था। उसको कोई संतान नहीं थी।नि:संतान होने के कारण उसका अपनी पत्नी धुंधली से सदैव झगड़ा होता रहता था।
एक दिन उनकी एक संत से भेंट हो गई तो उसने अपने दुःख के बारे में बताया।संत ने एक फल देकर कहा कि यह प्रभु का प्रसाद है।यदि तुम्हारी पत्नी इसे ग्रहण करें तो तुम्हें पुत्र की प्राप्ति हो सकती है। परंतु बुरे आचरण वाली धुंधली ने इस पर ध्यान नहीं दिया और अपनी बहन को सारी बात बताई। बहन ने उसे फल को फेंकने के लिए कह दिया।
धुंधली ने बहन की बात मानकर फल गाय के गोबर के ढेर पर फेंक दिया। संत के आशीर्वाद से उसके दो पुत्र हुए। जिसमें बड़े का नाम धुंधकारी और छोटे का गोकर्ण रखा गया। धुंधकारी बचपन से राक्षसी प्रवृत्ति का था। गोकर्ण शांत एवं संत स्वभाव का था। सात वर्ष की उम्र में गोकर्ण पिता से आशीर्वाद लेकर वन में तप के लिए चला गया और धुंधकारी बड़ा होकर माता-पिता के लिए परेशानी का कारण बना।
जिससे परेशान होकर आत्मदेव आत्महत्या करने को तैयार हो गए।तभी गोकर्ण ने उन्हें प्रभु का ज्ञान दिया और वन में जाकर तप करने की सलाह दी। जिस पर आत्मदेव वन को चले गए।
इस अवसर पर आचार्य पं. अशोक तिवारी, राधेश्याम चतुर्वेदी, पं. हौसिला प्रसाद तिवारी, माता प्रसाद सिंह, कृष्णचंद्र उपाध्याय, अवधेश तिवारी आदि उपस्थित रहे।आभार आयोजक कमलापति तिवारी ने व्यक्त किया।