नूरपुर के गरीब परिवार का टूटा आशियाना: कच्चा मकान ढहा, भैंस का बच्चा मरा — अब खुले आसमान के नीचे गुजर-बसर
जौनपुर जिले के रामपुर विकास खंड के ग्राम पंचायत नूरपुर में दिल को झकझोर देने वाला हादसा सामने आया है। गांव के अत्यंत गरीब और मेहनतकश परिवारों में शुमार मुन्नी लाल गौतम, सुक्खू गौतम और लाल चंद्र गौतम का वर्षों पुराना कच्चा मकान अचानक ढह गया। हादसा उस वक्त हुआ जब परिवार के सदस्य घर में मौजूद थे, लेकिन सौभाग्य से कोई बड़ा जानी नुकसान नहीं हुआ। हालांकि, मकान के मलबे में दबकर मुन्नी लाल गौतम की एक भैंस की बच्ची (पड़ीया) की मौके पर ही मौत हो गई।
बारिश और सीलन बनी हादसे की वजह
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मकान काफी पुराना और जर्जर हालत में था। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश और बढ़ती सीलन ने मकान की दीवारों को और भी कमजोर कर दिया था। हादसे वाली रात हालांकि बारिश नहीं हो रही थी, वरना यह दुर्घटना जानलेवा साबित हो सकती थी। मलबे में चारा काटने की मशीन और टीन शेड भी पूरी तरह नष्ट हो गए।
खुले आसमान के नीचे जिंदगी
इस हादसे के बाद पीड़ित परिवार खुले आसमान के नीचे जिंदगी गुजारने को मजबूर है।
हर दरवाज़े पर फरियाद, मगर सुनवाई नहीं
पीड़ित परिवार बेहद गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। उनके पास न खेती की जमीन है, न कोई सरकारी पट्टा। परिवार का जीविकोपार्जन केवल दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर है। मुन्नी लाल गौतम एक आंख से देख नहीं सकते, फिर भी वह और उनके परिवारजन दिन-रात मेहनत कर पेट पालते हैं।
परिवार के अनुसार उन्होंने कई बार ग्राम प्रधान और संबंधित अधिकारियों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर की सहायता के लिए गुहार लगाई, लेकिन हर बार किसी न किसी बहाने से उन्हें टाल दिया गया।
ग्रामीणों ने की प्रशासन से मदद की मांग
गांव के लोगों का कहना है कि यह केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र की असंवेदनशीलता की तस्वीर है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को तुरंत रहने के लिए आवास, आर्थिक सहायता, और मवेशी की क्षति का मुआवजा दिया जाए।
इस संबंध में ग्राम प्रधान से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा।
यह हादसा न केवल एक गरीब परिवार की बेबसी का प्रतीक है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि आखिर ज़रूरतमंदों तक सरकार की योजनाएं कब और कैसे पहुंचेंगी?
