ट्यूलिप हॉस्पिटल बना मौत का कुआं: करेंट लगने से तीमारदार महिला की मौत, डॉक्टरों ने नहीं लगाया हाथ
जौनपुर, 30 सितंबर।
जिले के प्रतिष्ठित माने जाने वाले ट्यूलिप हॉस्पिटल में गुरुवार की सुबह घटी एक दर्दनाक घटना ने पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। नगर कोतवाली क्षेत्र के नईगंज स्थित इस निजी अस्पताल में एक तीमारदार महिला की करेंट लगने से मौके पर ही मौत हो गई, और सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ ने पीड़िता को छूने तक की हिम्मत नहीं दिखाई।
इलाज कराने आई थी सास, मौत लेकर लौटी बहू
जानकारी के अनुसार, सरपतहा थाना क्षेत्र के सुइथा गांव निवासी लालती देवी को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते ट्यूलिप हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उनके साथ तिमारदारी के लिए बेटा प्रदीप गौड़ और बहू गुड़िया भी मौजूद थे।
सुबह करीब 10:30 बजे गुड़िया अस्पताल परिसर में लगे वाटर कूलर से पानी भरने गईं। यह वाटर कूलर बेहद संकरी जगह पर दो विशाल जनरेटर सेटों के बीच लगाया गया था। पानी भरते वक्त अचानक गुड़िया बिजली के करंट की चपेट में आ गईं और मौके पर ही बेसुध हो गईं।
डॉक्टरों ने झाड़ा पल्ला, नहीं किया प्राथमिक उपचार
गुड़िया को तड़पते देख परिजन मदद के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन आरोप है कि अस्पताल के किसी भी डॉक्टर या स्टाफ ने पीड़िता की मदद नहीं की। परिजनों के अनुसार, अस्पताल कर्मियों ने छूने तक से मना कर दिया और कोई प्राथमिक उपचार तक नहीं किया गया।
घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल महिला को तत्काल जिला अस्पताल भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
अस्पताल पर भड़के परिजन, किया जमकर हंगामा
मौत की खबर मिलते ही परिजनों का आक्रोश फूट पड़ा। दर्जनों लोग अस्पताल पहुंच गए और वहां जमकर हंगामा किया। परिजनों और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह हादसा अस्पताल की गंभीर लापरवाही का नतीजा है।
एक तरफ वाटर कूलर को दो बड़े जनरेटरों के बीच तंग जगह में लगाया गया, जो खुद में खतरनाक है, वहीं दूसरी ओर बिजली से संबंधित सुरक्षा मानकों की पूरी तरह अनदेखी की गई।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर उठे सवाल
यह घटना सिर्फ एक अस्पताल की लापरवाही तक सीमित नहीं है, बल्कि जिले के स्वास्थ्य विभाग की कमजोर निगरानी व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठाती है।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होनी चाहिए, जिन्होंने अस्पताल की व्यवस्थाओं की कभी जांच तक नहीं की।
