37 सालों से नहीं दर्ज हुई एक भी FIR, उत्तर प्रदेश के इस गांव में ‘फैसला ऑन द स्पॉट’ की अनोखी परंपरा
शाहजहांपुर (नियामतपुर)।
जहां आज के समय में मामूली विवाद भी थाने की चौखट तक पहुंच जाते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले का नियामतपुर गांव एक मिसाल बन गया है। यहां 1988 से अब तक एक भी पुलिस रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई। कोई एफआईआर, कोई गिरफ्तारी नहीं — हर विवाद का हल गांव में ही, आपसी बातचीत और बुजुर्गों की पंचायत से निकलता है।
आबादी हज़ार से अधिक, विवाद शून्य
करीब 1,400 से अधिक की आबादी वाले इस गांव में बिजलीखेड़ा और नगरिया बहाव जैसे मजरे भी शामिल हैं। लेकिन इन सब जगहों में एक बात समान है — विवादों को थाने नहीं, गांव की चौपाल पर निपटाया जाता है।
1988 से चली आ रही है परंपरा
गांव के वर्तमान प्रधान अभय यादव बताते हैं कि यह परंपरा उनके पिता ने 1988 में शुरू की थी। प्रधान बनने के बाद उन्होंने तय किया कि कोई भी विवाद पुलिस तक नहीं जाएगा, हर मसला गांव में बैठकर ही सुलझाया जाएगा। और तब से आज तक, इस परंपरा में एक भी चूक नहीं हुई।
पुलिस भी लौटी खाली हाथ
एक बार गांव में एक परिवारिक झगड़े के चलते किसी ने पुलिस को कॉल कर लिया। पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन प्रधान और गांव के बुजुर्गों ने हस्तक्षेप करते हुए मामला आपसी समझौते से सुलझा दिया। पुलिस को भी मानना पड़ा कि मामला गंभीर नहीं है और समझदारी से हल निकाला जा सकता है।
भाईचारा और समझौता ही मूल मंत्र
गांव के निवासी सूरज बताते हैं कि नियामतपुर में लोग आपसी प्रेम, सौहार्द और भाईचारे से रहते हैं। “कोई भी विवाद हो, सबसे पहले हम बात करते हैं, समझते हैं और फिर बैठकर उसका हल निकालते हैं”, उन्होंने कहा।
मॉडल गांव बनने की ओर बढ़ता कदम
नियामतपुर आज के समय में एक मॉडल गांव की तरह देखा जा सकता है, जहां न केवल शांति और कानून-व्यवस्था बनी हुई है, बल्कि लोगों के बीच विश्वास और एकता की भावना भी देखने को मिलती है।
