UP Panchayat Chunav: यूपी में SIR का पंचायत चुनावों पर पड़ेगा असर? जानिए फरवरी नहीं तो कब होंगे इलेक्शन
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) से फरवरी 2026 में होने वाले पंचायत चुनावों पर पड़ सकता है असर, मतदाता सूची संशोधन के बाद मार्च–अप्रैल तक टल सकती है प्रक्रिया
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों की तैयारियां फिलहाल स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया के कारण प्रभावित होती दिख रही हैं। माना जा रहा है कि फरवरी 2026 के पहले सप्ताह में शुरू होने वाले पंचायत चुनाव अब मार्च या अप्रैल तक खिसक सकते हैं। इसका कारण निर्वाचन आयोग द्वारा चलाया जा रहा व्यापक मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान है, जो 7 फरवरी 2026 तक चलेगा।
मतदाता सूची संशोधन बनेगा चुनाव में देरी की वजह
भारत निर्वाचन आयोग ने 27 अक्टूबर को SIR प्रक्रिया की घोषणा की थी। इसके तहत देश के 12 राज्यों में 51 करोड़ से अधिक मतदाताओं की सूचियों को दुरुस्त किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में यह प्रक्रिया 28 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है। इसके अंतर्गत बूथ लेवल अधिकारी घर-घर जाकर तीन चरणों में सत्यापन करेंगे, मृत या डुप्लिकेट मतदाताओं के नाम हटाएंगे, और प्रवासियों के नाम सही जगह दर्ज करेंगे। दावा-आपत्ति की अवधि 9 दिसंबर से 8 जनवरी तक रहेगी, जबकि संशोधन कार्य 31 जनवरी तक पूरा किया जाएगा। अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को जारी होगी।
राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) के सूत्रों के अनुसार, पंचायत चुनावों की मतदाता सूचियां विधानसभा सूचियों पर आधारित होती हैं। ऐसे में विधानसभा स्तर की सूचियों के अपडेट होने के बाद पंचायत स्तर पर भी संशोधन अनिवार्य हो जाएगा। यही कारण है कि पंचायत चुनाव की अधिसूचना अब फरवरी में जारी होना कठिन माना जा रहा है।
समय पर चुनाव कराने की कवायद
राज्य निर्वाचन आयोग का कहना है कि SIR राष्ट्रीय स्तर की प्रक्रिया है और इससे पंचायत चुनावों पर न्यूनतम असर पड़े, इसके लिए आयोग सक्रिय रूप से समन्वय कर रहा है। आयोग के अधिकारी लगातार बैठकों के माध्यम से जिला निर्वाचन अधिकारियों से संपर्क में हैं ताकि जैसे ही अंतिम सूची जारी हो, पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
वहीं, चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि फरवरी में चुनाव की संभावना लगभग समाप्त हो चुकी है और अप्रैल से पहले प्रक्रिया शुरू होना मुश्किल है। हालांकि आयोग कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं के बावजूद चुनाव समय पर कराने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है।
गर्मी में चुनाव बनेंगे चुनौती
यदि पंचायत चुनाव अप्रैल–मई में आयोजित किए जाते हैं तो बढ़ती गर्मी और ग्रामीण इलाकों में मतदान कर्मियों की तैनाती एक बड़ी चुनौती होगी। बावजूद इसके, SIR के बाद मतदाता सूचियों की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए यह देरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया की मजबूती के रूप में देखी जा रही है।

