आम के बागों को चढ़ा बसंती खुमार,बौर देख खुश हुए बागवान

आम के बागों को चढ़ा बसंती खुमार,बौर देख खुश हुए बागवान

जज सिंह अन्ना

बसंत ऋतु का प्रभाव ग्रामीण इलाकों के बाग बगीचों में इस समय दिखने लगा है।आम के पेड़ बौर से लद गए हैं जिन्हें देखकर बागवान खुश हो गये हैं।आम के बागों में मौसम की अनुकूलता के चलते बौर पूरी तरह से निकल आये हैं।

आम के बौर के लिए यही अवस्था संवेदनशील होती है उचित प्रबंधन,सही समय पर सिंचाई और कीटनाशकों का प्रयोग करके अगर बागवान आम के बौर को बचा ले गये और तेज आंधी तूफान और ओलावृष्टि से बौर बचे रह गए तो आम के अच्छे पैदावार की आशा की जा सकती है।

यह विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी का दृश्य है जहां आम के बौर पर कीटनाशक दवा का छिड़काव किया जा रहा है।

बामी के आस- पास के भटेवरा,चितांव,कठार, खरुआवां, महापुर, भुसौला,खजुरहट, ऊंचगांव,अमोध आदि में लोगों के पास अपने जरूरत भर के उत्पादन के लिए छोटी -छोटी बाग हैं जिनमें उन्नत प्रजातियों के साथ -साथ देशी आम के पेड़ हैं।

अगर मछलीशहर तहसील क्षेत्र में आम की व्यवसायिक खेती की बात करें तो मुंगराबादशाहपुर कस्बे से सटे सरायडिंगुर और रामनगर का नाम प्रमुखता से आता है।

ग्राम सराय डिंगुर में विजयसेन सिंह, विमल प्रताप सिंह, कृष्ण प्रताप सिंह,अजय राणा प्रताप,अनिल सिंह, विवेक सिंह,ऋषभ सिंह सहित कई बागवानों के पास बड़ी बागें हैं जिनमें दशहरी,चौसा,सफेदा, बनारसी और लंगड़ा प्रजातियों के आम हैं

और यहां के बागवान प्रतिवर्ष पांच से बारह लाख रुपए तक अपनी बागों को बेच देते हैं।इस सम्बन्ध में सराय डिंगुर निवासी कल्लू सिंह कहते हैं कि आम के बौर पर दवाओं का पहला छिड़काव जनवरी के अन्तिम सप्ताह में करा चुके हैं

और इस समय दूसरे दौर का छिड़काव जारी है तीसरे दौर का छिड़काव मार्च के तीसरे सप्ताह में कराया जाएगा।

इस वर्ष उनके बागों में पिछले वर्ष की तुलना में अच्छा बौर आया हुआ है। बागों को ठेके पर लेने वाले व्यवसायियों का आना जाना शुरू हो गया हैं। छोटे- छोटे फल लगते ही सौदा तय करके इन्हें बागों को सौंप दिया जाएगा।

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