कानपुर में संक्रम‍ित खून चढ़ाने से बिगड़ी 14 बच्‍चों की हालत,सात मरीजों में हेपेटाइटिस B, 5 मरीजों में हेपेटाइटिस C और 2 मरीजों में HIV संक्रमण की पुष्टि

कानपुर में संक्रम‍ित खून चढ़ाने से बिगड़ी 14 बच्‍चों की हालत,

-सात मरीजों में हेपेटाइटिस B, 5 मरीजों में हेपेटाइटिस C और 2 मरीजों में HIV संक्रमण की पुष्टि

– जानलेवा इन्‍फेक्‍शन के शिकार हुए बच्चों को ठीक करने में जुटे डाक्टर, परिजन बेहाल

– बच्चों को खून सरकारी अस्पतालों में चढ़ाया गया या फिर प्राइवेट अस्पताल में, इसकी जानकारी अब तक नहीं

कानपुर। इस महा नगर में धरती की भगवान बताए जाने वाले डॉक्टरों की लापरवाही से 14 बच्चों का जीवन खतरे में पड़ गया है। संक्रमित खून चढ़ाया जाने से उनकी हालत बिगड़ गई है। जानलेवा इन्फेक्शन के शिकार हुए इन बच्चों को बचाने के लिए डॉक्टरों की टीम जुट गई है ,लेकिन समाचार लिखे जाने तक किसी भी बच्चे को संक्रमण से मुक्त नहीं कराया जा सका है ,जिसको लेकर उनके अभिभावक भी बहुत परेशान है।
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक यहां पर सक्रमित खून चढ़ाए जाने से 14 थैलिसीमिया पीड़ित बच्चों की हालत खराब हो चली है। बताया गया कि इनमें 4 बच्‍चों में अलग-अलग इन्‍फेक्‍शन हो गए हैं।
लाला लाजपत राय (हैलट )अस्‍पताल के बाल रोग विभाग ने जब 180 रोगियों की स्क्रीनिंग की तो इन 14 मरीजों की पहचान हुई है। वहीं दूसरी और डॉक्टर या अभी सफाई दे रहे हैं कि ये पिछले 10 साल के आंकडे़ हैं।
इस बारे में बाल रोग विभाग के अध्‍यक्ष का कहना है कि अभी यह भी साफ नहीं है कि इन संक्रमित बच्‍चों को सरकारी अस्‍पताल से खून चढ़ा है या निजी अस्‍पताल से। इस बात की भी छानबीन की जा रही है।
कानपुर मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार आर्या के मुताबिक थैलिसीमिया से पीड़ित मरीजों को हर 3 से 4 हफ्ते के बीच ब्लड चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस तरह साल में 16 से 24 बार खून चढ़वाना पड़ता है। ऐसे में मरीजों को संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है। लगातार इसकी जांच करवाई जाती है।
डॉ. अरुण कुमार आर्या ने बताया कि जब इस बार स्क्रीनिंग की गई तो 14 लोगों में संक्रमित होने की बात सामने आई है।
जानकारी देते हुए डॉ. आर्या ने बताया कि सात मरीजों में हेपेटाइटिस B, 5 मरीजों में हेपेटाइटिस C और 2 मरीजों में HIV संक्रमण की पुष्टि होने के बाद डॉक्टर उन्हें ठीक करने में लगातार जुटे हुए हैं। वहीं इन हालातों से बच्चों की अभिभावक भी बहुत परेशान है। इस बीच डॉक्टर ने सभी बच्चों को जल्द ठीक किए जाने का भी भरोसा दिया है।

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