जानिए आज पंचांग के अनुसार आज आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है.

आज शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है. पंचांग के अनुसार आज आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है. आज के दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं. जो लोग दांपत्य जीवन में है, उन लोगों मां चंद्रघंटा की अवश्य पूजा करनी चाहिए क्योंकि इनकी पूजा करने से दांपत्य जीवन सुखमय होता है.

देवी की कृपा से व्यक्ति को सुख और समृद्धि भी प्राप्त होती है. मां चंद्रघंटा माता पार्वती का ही रौद्र रूप हैं. राक्षसों के अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए माता पार्वती ने युद्ध के लिए यह रौद्र रूप धारण किया था. तिरूपति के ज्योतिषाचार्य डाॅ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, पूजन मंत्र और महत्व के बारे में.

मां चंद्रघंटा का पूजन मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

या ॐ देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग

पूजा के समय आप मां चंद्रघंटा को सेब और केले का भोग लगा सकते हैं. इसके अलावा मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाई का भोग भी बहुत पसंद है. आप देवी को खीर का भोग लगा सकते हैं.

मां चंद्रघंटा का प्रिय फूल और रंग

आज के दिन आप मां चंद्रघंटा को पीले रंग के फूल या सफेद कमल का फूल चढ़ा सकते हैं.मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व
1. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर साहस और निडरता बढ़ती है.
2. यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह से जुड़ा कोई दोष है तो आप मां चंद्रघंटा की पूजा करें क्योंकि इस देवी का संबंध शुक्र ग्रह से है. इनकी पूजा से शुक्र ग्रह का दोष दूर हो जाता है.
3. पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए भी आपको मां चंद्रघंटा की आराधना करनी चाहिए.
4. मां चंद्रघंटा परिवार की रक्षक हैं खासकर संतानों की. वे अपने संतानों को निडर बनाती हैं. उनमें साहस पैदा करती हैं.
5. किसी वजह से आपका विवाह नहीं हो पा रहा है तो आपको मां चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए. उनकी कृपा से विवाह से जुड़ी समस्याएं दूर हो जाएंगी

जानिए आज मां चंद्रघंटा की पूजा विधि

प्रातः स्नान के बाद पूजा स्थान की सफाई करें. उसके बाद मां चंद्रघटा का जल से अभिषेक करें. उसके बाद अक्षत्, कुमकुम, फूल, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य आदि मां चंद्रघंटा को अर्पित करें. फिर उनके पूजन मंत्र का उच्चारण करें. उनको प्रिय भोग लगाएं. उनकी कथा सुनें. दुर्गा चलीसा का पाठ करें. उसके पश्चात मां चंद्रघंटा की आरती करें. इसके बाद मां चंद्रघंटा से क्षमा प्रार्थना करते हुए मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगें

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