डायबिटीज के लिए संजीवनी-जामुन
जामुन का लक्षण
जामुन एक ऐसा फल है जो बहुत लाभदायक होने के बावजूद कम खाया जाता है। इसे वृक्षों से उतारना कुछ कठिन होता है। यह व्यर्थ ज्यादा जाता है। इसका मौसम थोड़ी देर के लिए रहता है। यह भारत का प्रसिद्ध फल है। जामुन का बैंगनी कलर बहुत मनभावन एवं चमकीला रहता है। जामुन खाने पर इसका रंग जुबान पर लग जाता है और गला भी सूख जाता है।
जामुन का विशेष गुण है कि यह मधुमेह रोगी को पूर्ण आराम देता है इसकी गुठली का चूर्ण तो रोगी के लिए वरदान है। आयुर्वेद एवं ऐलोपेथी में यह प्रमाणित सत्य है कि जामुन की गुठली मधुमेह रोग की घोर दुश्मन है और उसे समूल नष्ट कर देती है।
जामुन की गुठली में एक विशेष रसायन पाया जाता है जो इसे विशेष प्रकार की सुगंध देता है। यह कम्बोलियन कहलाता है जो मधुमेह की दवाओं में प्रयोग होता है। यह एक प्रकार का ग्लूकोसाईड तत्व है। यह स्टार्च को शक्कर में बदलने में रूकावट डालता है।
खाने का उपाय
ज्यादा जामुन खाने से सीने में जलन एवं पेट भारी हो जाता है। कफ ज्यादा पैदा होती है। इसे समुचित मात्रा में प्रतिदिन खाना चाहिए। जामुन सचमुच बहुत ही लाभदायक फल है फटा हुआ जामुन का सेवन नहीं करना चाहिए परन्तु आजकल हम इसका प्रयोग एवं इसके लाभ भूल चुके हैं। आज पुन: समाज में आयुर्वेद के प्रचार की जरूरत है। प्रकृति द्वारा उपचार का प्रचार अत्यंत आवश्यक है।
आधुनिक युग में बीमारियों के बढ़ते प्रकोप में स्वामी रामदेव जी फरिश्ता बनकर आए हैं जो योगाभ्यास एवं प्राणायाम को संजीवनी मानते हैं और सूखे फलों एवं जड़ी बूटियों को हर रोग की राम बाण दवा मानते हैं।
जामुन डायबिटिज के लिए आज के युग में वरदान सिद्ध हुआ है। जो जामुन की बहार में निरंतर ताजा जामुन खाते हैं वे कभी बीमार नहीं पड़ते परन्तु प्रदूषण एवं पर्यावरण पर अत्याचार होने के कारण, जामुन के वृक्ष कम होते जा रहे हैं। अधिक जामुन का सेवन न करे आज जरूरत है हम अपने इर्द गिर्द फलदार वृक्ष लगाएं ताकि भावी पीढिय़ां स्वास्थ्य लाभ उठा सकें।