दुकानों पर मिल रही मिठाई कहीं बीमारी का घर तो नहीं, मिलावट खोरी की अपनी कहानी है ,दस्तूर पुरानी लेकिन रस्म निभानी है

दुकानों पर मिल रही मिठाई कहीं बीमारी का घर तो नहीं,

मिलावट खोरी की अपनी कहानी है ,दस्तूर पुरानी लेकिन रस्म निभानी है

दीपावली का नाम सुनते ही लोगों के मन में तमाम प्रकार की मिठाइयों का स्वाद अपने आप ही आता है, लोगों का मुंह पानी से भर जाता है। ऐसा लगता है कि मानो तमाम मिठाइयां अभी ही मिले और उसका सेवन चाव के साथ किया जाए। लेकिन ऐसा सोचने से पहले सावधान हो जाए ! कहीं त्यौहार के सौगात में उमड़ी भीड़ की आड़ में मिठाई के नाम पर आपको कहीं जहर तो नहीं परोसा जा रहा है ?

अच्छी गुणवत्ता वाले मिठाई के नाम पर नकली और मिलावट वाले मिठाई का पैकेट आपको तो नहीं पकड़ाया जा रहा है। प्रायः यह देखा गया है कि त्योहारों के समय आम दिन की अपेक्षा बड़े पैमाने पर मिलावट खोरी का धंधा तेज़ी से होता है! शहर के विभिन्न क्षेत्र में सैकड़ो मिठाइयों की दुकान लगी हैं। कुछ दुकानदारों के पास लाइसेंस है कुछ के पास लाइसेंस भी नहीं है। आलम यह है कि लाइसेंस होने के बाद भी दुकानदारों द्वारा तय मानकों का पालन नहीं किया जाता।

जले हुए पामोलिन ऑयल में बने हुए मिठाई को खुले में ही प्रदर्शनी लगाकर चमकीले पन्नी से सजाया जाता है!
बीमारी की घर मक्खियां उस मिठाई पर भिन्न-भिन्न भिन्न-भिन्न करती रहती हैं। कुछ गिने-चुने दुकानों को छोड़कर , बड़े बड़े दुकान से निर्मित मिठाइयां धन लाभ और उच्चे क़ीमत वसूली के लिए केमिकल और अन्य कई खाद्य पदार्थ का मिलावट से मात्रा और स्वाद को दुगना कर जान लेवा बनाया जाता है !

नकली मिठाई बनाने के लिए जालसाज खोए और दूध की जगह फर्टिलाइजर, आलू, आयोडीन, डिटर्जेंट, सिंथेटिक दूध, व्हाइटनर, चॉक, यूरिया औऱ तरह तरह के केमिकल का यूज करते हैं. इतना ही नहीं मिठाई को सजाने के लिए चांदी के वर्क की जगह एल्यूमिनियम के वर्क का यूज किया जा रहा है जो सेहत के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है !

नकली मिठाई से सेहत को होते हैं कई नुकसान ,लिवर-किडनी को हो सकता है फेल

मिठाई में रंग के नाम पर केमिकल मिलाने, नकली मावा, नकली दूध और छेना के उपयोग से शरीर कई तरह के खतरों की जद में आ जाता है !. ऐसी मिठाई के सेवन से ब्रेन कैंसर, मुंह का कैंसर, ल्यूकेमिया, किडनी के रोग,सांस संबंधी बीमारियां और कई तरह की एलर्जी होने की बात हेल्थ एक्सपर्ट करते हैं !. कई जगह मिठाई में मिलावट करते वक्त उसमें स्टार्च और अनसैचुरेटेड फैट जैसी चीजें मिला दी जाती हैं जिन्हें खाकर शरीर का कोलेस्ट्रोल लेवल एकदम हाई हो जाता है और इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है !. मिठाई के ऊपर लगा एल्यूमिनियम वर्क पेट में जाकर दिमाग और हड्डियों को काफी नुकसान पहुंचाता है !. इसके सेवन से बच्चों की किडनी पर बुरा असर पड़ने की बात कही जाती है !

दुकानों पर बिकने वाले मिठाईयों पर निर्माण तिथि व उपभोग करने की अंतिम तिथि नहीं लिखी होती, जिससे कि यह समझना मुश्किल हो जाता है की मिठाई कितने दिन पुरानी अभी कितने दिन तक खाने योग्य रहेगी। सूत्रों की माने तो त्योहार के दिनों में खोवा जो दूध से बनी वस्तुओं की मांग बढ़ जाती है फलस्वरूप पूर्ति करने के लिए अप्राकृतिक ढंग से सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है !
जिससे कि हानिकारक खोया बनाकर मिलावट को अंजाम दिया जाता है! विभागीय उदासीनता से अधिकांश दुकानदारों के ऊपर कार्यवाही नहीं हो पाती। इस मिलावटी खोया से तमाम प्रकार की मिठाई बर्फी व अन्य मिठाइयां तैयार की जाती है। बताया जाता है की सिंथेटिक दूध 10 से ₹20 लीटर के मूल्य में तैयार हो जाता है जबकि असली व शुद्ध दूध 50 से 60 रुपए लीटर के भाव में उपलब्ध होता है जहां अच्छी खासी बचत होती है !इससे यह साफ देखा जा सकता है कि मुनाफा किस हद धन उगाही का असली मतलब बन बाजार में उछाल पर है!

सामान्य दिनो में भी खाद्य सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं किया जाता। उसी जले काले पामोलिन के तेल में सड़े आलू का समोसा बनाकर लोगों के सेहत के साथ खिलवाड़ किया जाता है। बिना जाली/कांच के सड़क का धूल फांकती मिठाई लोगो के बदहजमी का कारण बनती है। पीने का पानी खुले में रखा रहता है उसमे तमाम धूल व गंदगी भरी रहती है, लेकिन विभाग को इन सब चीजों से कोई लेना-देना नहीं है , बहुत कम संख्या मे दुकानों पर संबंधित अधिकारी जाकर बिकने वाले मिठाई व खाद्य सामग्रियों का नमूना लेकर उसके गुणवत्ता का जांच कार्रवाई करते हैं।

विश्वसनीय व प्रतिष्ठित दुकानों से ही खरीदें त्यौहार के लिए मिठाई व खाद्य सामग्री

यदि स्वास्थ्य को लेकर किसी प्रकार की समस्या नहीं चाहते तो मिठाई व खाद्य सामग्री लेने से पहले यह जांच ले की उक्त दुकान के पास खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण द्वारा लाइसेंस मिला हो। मिठाइयां ताजी व शुद्ध हो, मिठाइयों का रखरखाव अनुकूल वातावरण में ठीक ढंग से किया गया हो। बेहतर यही होगा कि खरीदारी किसी विश्वसनीय व प्रतिष्ठित दुकान से करें !

अक्सर देखा जाता है कि छापे की कहानी सिर्फ छोटे-छोटे दुकानों पर त्योहार के मद्दे नजर खानापूर्ति के लिए छापेमारी की जाती है जबकि बड़े-बड़े नामी गिरामी दुकानों पर बहुत कम छापेमारी की कहानी सुनाई पड़ती है !सूत्रों की माने तो वजह सिर्फ मात्र मोटे लिफाफे में मिल रही सौगात है ऐसे कड़े सवालों का जवाब देने में अधिकारी चुप्पी साथ लेते हैं ज्यादातर फोन नहीं उठाते !

डॉक्टर साहब क्या कहते हैं मिलावट के मिठाई में बंट रहें ज़हर के बारे में

ओपोलो अस्पताल, बेंगलुरु की चीफ क्लिनिकल डायटिशियन डॉ. प्रियंका रोहतगी बताती हैं कि हमारी आंत में लगभग 1 ट्रिलियन गुड बैक्टीरिया होते हैं !. मिलावटी मिठाइयों में जो हानिकारिक चीजें मिलाई जाती हैं, उनका सबसे बड़ा नुकसान ये होता है कि गुड बैक्टीरिया मरने लगते हैं !इसका सीधा असर हमारी इम्यूनिटी पर पड़ती है ! इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है चूंकि मिलावटी चीजों में हैवी मेटल का अंश ज्यादा होता है, इसलिए यह किडनी और लिवर को भी नुकसान पहुंचाता है !. अगर ज्यादा मात्रा में मिलावटी मिठाई का सेवन करें तो डायबिटीज और हार्ट के मरीजों को इसका बहुत बुरा असर होगा. डॉ प्रियंका ने बताया कि मिठाइयों को सजाने के लिए एफएसएसआई ने सात या आठ कलर की अनुमति दी है लेकिन कुछ मिठाइयों में इसके अलावा मेटेनिल यैलो, ऑरामाइन, रोटामिन, ऑरेंज 2 जैसे हानिकारक कलर मिलाए जाते हैं ।

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