नई दिल्ली. RTPCR से भी ज्यादा सटीक और तेज ,इस एक एप की मदद से आवाज से होगा COVID-19 का टेस्ट

नई दिल्ली. कोरोना को आए हुए तीन साल से ज्यादा समय होने वाला है लेकिन अब तक यह समाप्त नहीं हुआ है. कई गरीब देशों में कोरोना की जांच के लिए बेहतर सुविधा नहीं है. अब तक आरटीपीसीआर RTPCR को कोरोना के लिए सबसे सटीक टेस्ट माना जाता है लेकिन इस टेस्ट का रिजल्ट आने में समय लगता है. इन्हीं कठिनाइयों को दूर करते हुए वैज्ञानिकों ने एक ऐसा स्मार्टफोन एप विकसित किया है जिसकी मदद से व्यक्ति की आवाज से कोरोना टेस्ट किया जा सकता है. यानी स्मार्टफोन में व्यक्ति की आवाज का नमूना ले लिया जाएगा और वह कुछ ही मिनट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से सटीक पता लगा लिया जाएगा कि उस व्यक्ति में कोरोना संक्रमण है या नहीं.

वैज्ञानिकों का दावा है कि आर्टिफिशियल मॉडल पर आधारित यह एप रैपिड एंटीजन टेस्ट या अन्य माध्यमों की तुलना में ज्यादा सटीक और जल्दी में होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि इस एप की मदद से कोरोना टेस्ट करने में बहुत मामूली खर्च लगेगा और इसे करने में भी बहुत आसानी होगी. इस लिहाज से गरीब देशों में जहां आरटीपीसीआर टेस्ट कराना ज्यादा खर्चीला है, उन देशों को काफी सहुलियत होगी. इस एप से संबंधित रिसर्च को स्पेन के बार्सिलोना में यूरोपियन रेसपारेटरी सोसाइटी इंटरनेशनल कांग्रेस में पेश किया गया है.

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शोधकर्ताओं के मुताबिक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस मॉडल पर आधारित यह एप 89 प्रतिशत समय में सटीक होता है. उन्होंने बताया कि परंपरागत जांच की सटीकता टेस्ट किट की ब्रांड कंपनी के आधार पर भिन्न होती है. इसके अलावा जिस व्यक्ति में कोविड के लक्षण नहीं हैं, उसमें जांच की सटीकता और कम हो जाती है. लेकिन इस एप में सिंपल वॉयस रिकॉर्डिंग को दर्ज कर लिया जाता है और एआई गणितीय गणना के आधार पर ये सटीक परिणाम बता देता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण आमतौर पर श्वसन नली और स्वर यंत्र यानी वोकल कॉर्ड को प्रभावित करता है. इससे संक्रमित व्यक्ति की आवाज में परिवर्तन हो जाता है. आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस इसी का पता लगाकर तुरंत इसका टेस्ट कर सकती है.

नीदरलैंड में मास्ट्रिच विश्वविद्यालय के शोधकर्ता वफा अल्जबावी ने बताया कि एआई मॉडल पर आधारित इस एप की मदद से कौन व्यक्ति कोरोना संक्रमित है, इसका उत्साहजनक परिणाम बहुत जल्दी आ जाता है. इस तरह के टेस्ट को नो कॉस्ट पर किया जा सकता है. इसके अलावा एप का इस्तेमाल सुदूर क्षेत्रों में भी किया जा सकता है. गरीब देशों में जहां के लोगों को कोरोना टेस्ट कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, उनके लिए यह बहुत आसानी होगी. साथ ही इससे बहुत तेजी के साथ घनी आबादी में टेस्ट किया जा सकता है और संक्रमित आबादी को आइसोलेट भी किया जा सकता है.

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