बनारस – मौत के मुँह से खीचकर महिला कि जान बचाई , डॉक्टर का करिश्मा ..पढ़िए पूरी खबर

BHU – सर सुंदरलाल चिकित्सालय के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ ओमशंकर ने बड़ा काम किया है। उन्होने एक ऐसी महिला की जान बचाई है जिसके शरीर में हृदय से प्रवाहित होने वाले रक्त का प्रवाह बाधित हो रहा था। धमनिया चिपक गई थीं। उसे सीने में तेज दर्द हो रहा था और वो एक कदम भी नहीं चल पा रही थी। लेकिन डॉ शंकर ने बिना चीर-फाड़ के ही उसे स्वस्थ कर दिया है।
वाराणसी. यूं तो महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की कर्म स्थली बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के हर विभाग में समाजहित के कार्य चल रहे हैं। विज्ञान के क्षेत्र में नित ऐसे नए प्रयोग किए जाते हैं जो मानव जाति के लिए लाभकारी हो। इसमें चिकित्सा विज्ञान क्षेत्र अग्रणी है। इसी कड़ी में हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष व हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो ओम शंकर ने ऐसा काम किया है जिसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। उन्होंने एक ऐसी महिला को नवजीवन दिया है जिसके हृदय के बाईं तरफ की मुख्य धमनी पूरी तरह से ब्लॉक हो गई थी जिससे खून का प्रवाह बंद हो गया था। लेकिन बिना चीर-फाड़ के अब वो महिला स्वस्थ है।
डॉक्टर को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता, दरअसल ये डॉक्टर ही हैं जो अपनी विद्या और कौशल से लोगों की जीवन रक्षा करते हैं। ऐसा ही कुछ किया है हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ ओम शंकर ने। उन्होंने उस महिला को नया जीवन दिया है जिसी धमनी से रक्त प्रवाह बिल्कुल ही बंद हो गया था। इस संबंध में डॉ शंकर का कहना है कि महिला के बाईं तरफ की धमनी तकरीबन पूरी तरह से चिपटी हो कर रक्त प्रवाह को बाधित कर रही थी। ऐसे में किसी भी वक्त कुछ भी हो सकता था।
डॉ ओम शंकर बताते हैं कि इस महिला को स्वस्थ करने के लिए बिना चीर-फाड़ के ही महिला के हाथ व पैरों की नसों के जरिए हृदय की नस को पूर्व के हाल में पहुंचाया गया है। उन्होंने बताया कि पीड़ित महिला के सीने में तेज दर्द हो रहा था। वो दो कमद भी नही चल पा रही थी। ऐसे में उसकी एजियोग्राफी करने का निर्णय किया गया। बताया कि महिला के बाईं तरफ की प्रमुख नस (लेफ्ट मेन क्रोनरी ऑर्टरी) जहां से शुरू होती है उसी जगह चिपक कर धागे की तरह हो गई थी। ऐसे मे महिला की चिपकी नस को सामान्य करने के लिए हाथ व पैर की नसों में सुई डाल कर उसे फुलाया गया। इसी से उसकी स्थित सामान्य हो गई। डॉ शंकर ने बताया कि ऐसे मामलों में लोग चलते-फिरते अचानक ही हृदयाघात से असमय ही मौत का शिकार हो जाते हैं।