मासूम चेहरों पर इम्तिहान की चिंता की लकीरें,पैरेंट्स भी परेशान

मासूम चेहरों पर इम्तिहान की चिंता की लकीरें,पैरेंट्स भी परेशान

रिपोर्ट–निशांत सिंह

नाजुक कंधों पर बस्ते का बोझ तो पूरे सत्र लदा रहता है लेकिन फरवरी और मार्च के महीनों में बच्चों के मासूम चेहरों पर इम्तिहान की चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं।इस समय विभिन्न बोर्डों की परीक्षाएं गतिमान है। सत्रांत के इस महीने में वार्षिक गृह परीक्षायें भी या तो शुरू हो गई हैं या तो शुरू होने वाली हैं। ऐसे में शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारियों का भी इम्तिहान जारी है। परीक्षाएं तो बच्चों की होती हैं लेकिन अभिभावकों के साथ शिक्षक-शिक्षिकाओं को परीक्षा की तैयारियों को लेकर कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही। बच्चों को अव्वल रखने की माता-पिता की तमन्ना के चलते वह उनकी हर प्रकार से मदद कर रहे हैं। अभिभावक अपने खाने-पीने,सोने-जगने से ज्यादा अपने बच्चों के खाने-पीने, सोने-जगने और पढ़ने पर ध्यान रहे हैं। जनपद में परिषदीय विद्यालयों में भी 16 मार्च से बच्चों की परीक्षायें होनी हैं।कई निजी विद्यालयों में वार्षिक परीक्षाएं शुरू भी हैं। जौनपुर शहर के सेंट पैट्रिक सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कक्षा दो में पढ़ने वाले शिवांश कौशिक की मां नीतू सिंह अपने बच्चे की तैयारी में पूरा सहयोग कर रही हैं।वह कहती हैं कि परीक्षा की टेंशन बच्चे को न हो उन्हें बस इसी की टेंशन लगी रहती है। विकास खंड मछलीशहर के आक्सफोर्ड टाउन इंग्लिश मीडियम स्कूल में यू के जी में पढ़ने वाली छात्रा श्रीशा सिंह की मम्मी कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में शिक्षिका हैं और उन्हें मलाल इस बात का है कि आवासीय विद्यालय होने के कारण वह घर पर अपनी बच्ची के साथ नहीं है जिस कारण परीक्षा की तैयारी में सहयोग नहीं कर पा रही हैं।

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