रिजर्व बैंक आज अपनी पॉलिसी समीक्षा के नतीजों का ऐलान करेगा. बाजार और जानकार पहले से ही अनुमान दे चुके हैं

  कर्ज की ईएमआई और कितनी बढ़ने जा रही है इसका खुला अब से कुछ घंटों में होने जा रहा है. रिजर्व बैंक आज अपनी पॉलिसी समीक्षा के नतीजों का ऐलान करेगा. बाजार और जानकार पहले से ही अनुमान दे चुके हैं रिजर्व बैंक ब्याज दरों में आधा प्रतिशत तक की बढ़त करेगा. इन अनुमानों के पीछे कई ठोस वजह हैं. दरअसल पिछली समीक्षा के बाद से कई ऐसे संकेत देखने को मिले जिससे रिजर्व बैंक पर दरें बढाने का दबाव बन गया है. जानिए पिछली समीक्षा के बाद से क्या क्या बदलाव हुए हैं.महंगाई दर

अप्रैल के बाद से महंगाई दर में राहत का रुख था. रिजर्व बैंक के द्वारा दरें घटाने के साथ ही इसमें नरमी देखने को मिल रही थी. हालांकि जुलाई के बाद से एक बार फिर महंगाई में बढ़त दर्ज हुई. पहली अप्रैल को खाद्य महंगाई 8.3 प्रतिशत के ऊपर थी. वहीं खुदरा महंगाई करीब 8 प्रतिशत थी.

पहली मई तक खुदरा महंगाई 7 प्रतिशत पर आ गई वहीं.

खाद्य महंगाई 8 प्रतिशत से नीचे पहुंच गई. खाद्य तेल की कीमतों में कटौती से आगे और फर्क दिखा और जुलाई में खाद्य महंगाई और खुदरा महंगाई दोनो 7 प्रतिशत से नीचे पहुंच गई. हालांकि मानसून के दौरान खाद्य कीमतों में तेजी से अगस्त में एक तरफ जहां खाद्य महंगाई उछाल के साथ 7.5 प्रतिशत के पार पहुंच गई. वहीं खुदरा महंगाई भी 7 प्रतिशत पर वापस पहुंच गई है. अगस्त के महंगाई के आंकड़ों के कारण ही बाजार मान रहा है कि रिजर्व बैंक दरों में आधा प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है.

डॉलर के मुकाबले रुपया

फेडरल रिजर्व के द्वारा दरों में बढ़ोतरी के साथ जो सबसे बड़ा असर देखने को मिला है वो है डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी का. वित्त वर्ष की शुरुआत में यानि पहली अप्रैल को रुपया डॉलर के मुकाबले 76 के स्तर पर था.गिरावट के साथ 13 जुलाई को रुपये ने 80 का स्तर तोड़ दिया. पिछली पॉलिसी समीक्षा के वक्त रुपया 79 के स्तर से थोड़ा ऊपर कारोबार कर रहा था. अब जबकि रिजर्व बैंक पॉलिसी समीक्षा कर रहा था तब डॉलर के मुकाबले रुपये ने 82 का स्तर भी तोड़ दिया है. यानि पिछले समीक्षा के बाद से रुपया 3.8 प्रतिशत टूट चुका है.

विदेशी मुद्रा भंडार

फिलहाल भारतीय रिजर्व बैंक जिस बात को लेकर सबसे ज्यादा सकारात्मक है वो है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार. दुनिया भर के कई विकासशील देश कमजोर भंडार की वजह से टूटने की कगार पर हैं. हालांकि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी मजबूत स्थिति में हैं. हालांकि आकंड़ों पर नजर डालें तो स्थिति थोड़ी असहज होने लगी है. पिछली पॉलिसी समीक्षा से पहले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 573.9 अरब डॉलर के स्तर पर था.

सितंबर के अंत में होने वाली पॉलिसी समीक्षा से पहले ये 545 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया है. यानि दो समीक्षा के बीच विदेशी मुद्रा भंडार 29 अरब डॉलर घट चुका है. ये गिरावट कितनी बड़ी है इसका अनुमान इस बात से लगा सकते हैं कि पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल का कुल विदेशी मुद्रा भंडार भी इतना नहीं है. बाजार की नजर आज आने वाले मुद्रा भंडार पर भी लगी हुई है.

फेडरल रिजर्व की बढ़ोतरी

केंद्रीय बैंकों में सबसे ज्यादा आक्रामक रुख फेडरल रिजर्व का है. पूरी दुनिया पर फेड के फैसलों का असर देखने को मिल रहा है. फेडरल रिजर्व ने रिजर्व बैंक से पहले दरों में बढ़ोतरी की शुरुआत की थी. रिजर्व बैंक की अगस्त की समीक्षा से ठीक पहले 27 जुलाई को फेडरल रिजर्व ने दरों में 75 बेस अंक यानि 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी. और दरें बढ़त के साथ 2.25 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत के बीच पहुंच गई थीं. वहीं हाल ही में यानि 21 सितंबर को फेड ने एक बार फिर 75 बेस अंक यानि 0.75 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है. फिलहाल दरें बढ़कर 3 से 3.25 प्रतिशत के बीच पहुंच गई हैं.

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