आज एक ऐसे नायक की जयंती है जिन्हें उनके खुद के विचार के लोगों द्वारा भुला दिया गया है। हां आज फॉरगेटन होरो पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव जी की 101 वीं जयंती है ।
नरसिम्हा राव कई मायनों में आजाद भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में महत्वपूर्ण है ।उन्होंने गर्त में जा चुकी देश की अर्थव्यवस्था को उबारने का काम किया । यद्यपि मैं व्यक्तिगत रूप से उदारवादी सुधारों का विरोधी हूं, इसके बावजूद यह स्वीकार करता हूँ कि देश में वर्तमान में जो समृद्धि दिखती है वह राव के सुधारों की देन है ।इस नाते नरसिंहराव के आर्थिक सुधार अपने आप में महत्वपूर्ण कहे जा सकते है । उन्होंने अल्पमत वाली सरकार का पूरे पांच साल तक सफलतम नेतृत्व किया ।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि राव कांग्रेस के ऐसे प्रधानमंत्री थे जो गांधी नेहरू परिवार से ताल्लुक नहीं रखते थे इस बात का उन्हें बहुत खामियाजा उठाना पड़ा । न केवल पीएम रहते हुए उन्हें परेशान किया वरन उनके निधन पर भी बहुत राजनीति हुई ।कांग्रेस के लोगों का मन इतना छोटा था कि जब राव साहब का निधन हो गया तो उनकी पार्थिव देह को कांग्रेस के दफ्तर में प्रवेश नहीं करने दिया गया । यहां तक कि उनका अंतिम संस्कार भी दिल्ली में उस जगह नहीं करने दिया गया जहां पूर्व प्रधानमंत्रियों के स्मृति स्थल बने हैं । आखिर कर उनके गृह राज्य के मुख्यमंत्री ने हैदराबाद में उनके लिए स्मृति स्थल हेतु जगह दी।
खैर एक मायने में हम कह सकते हैं कि राव अब तक के प्रधानमंत्रियों में सबसे विद्वान व्यक्ति थे । वे बहु भाषाविद थे उन्हें लगभग सतरह भाषाओं का ज्ञान था । वे अध्ययनशील प्रवृत्ति के थे और उनकी निजी लाइब्रेरी बहुत समृद्ध थी ।
आज पूर्व प्रधानमंत्री पामुलपति वेंकट नरसिम्हाराव जी की जयंती पर मैं उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपने स्मृति पटल पर ऐसे विद्वान प्रधानमंत्री को याद करते हुए गौरवान्वित हूं ।