जानिए कई राज्यों से नदियों में छोड़ा गया पानी बढ़ा रहा चिंता यूपी के कई जिले बाढ़ की चपेट ,
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उत्तर प्रदेश में बारिश के साथ अन्य राज्यों से नदियों में छोड़े जाने वाले पानी की वजह से प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ हालात बन गए हैं। नदियों किनारे बसे कई जिले बाढ़ की चपेट में हैं।गंगा, यमुना, बेतवा, चंबल, केन आदि नदियों के उफनाने से कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। आगरा, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर, हमीरपुर, फतेहपुर, कन्नौज, बांदा, इटावा, उरई, कानपुर देहात क्षेत्रों के लोग प्रभावित हुए हैं। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ के चलते सभी जिलों के डीएम को चौकन्ना रहने के निर्देश दिए हैं।
गंगा-यमुना कभी भी पार कर सकती हैं खतरे का निशान
गंगा और यमुना की उफनाती लहरों से जिले के करीब तीन लाख लोग चिंतित हैं। प्रयागराज में आज गंगा किसी भी समय खतरे का निशान 84.734 मीटर जलस्तर पार कर सकती हैं। फाफामऊ में शुक्रवार की सुबह आठ बजे जलस्तर 84.64 मीटर रिकार्ड किया गया।
नैनी में यमुना का जलस्तर इसी समय 84.60 मीटर था। छतनाग में गंगा का जलस्तर 83.90 मीटर था।कई मोहल्लों में नावें चलने लगी हैं। स्टीमर भी लगाई गई हैं।
आगरा में भी बाढ़ का खतरा बरकार है। कोटा बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने से चंबल नदी उफान पर है, जो खतरे के निशान से पांच मीटर ऊपर है। पिनाहट क्षेत्र में बाढ़ में घिरे रानीपुरा, गोहरा, भटपुरा, गुढ़ा गांव की बिजली काट दी गई है।
यमुना के किनारे सदियापुर, ककरहा घाट, बक्शी मोढ़ा, करैलाबाग, हड्डी गोदाम, करेली, गौशनगर, आजाद नगर, इस्लाम नगर आदि मोहल्लों में ससुर खदेरी नदी के माध्यम से बाढ़ का पानी घुस चुका है जिससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गाजीपुर जिले में गंगा का स्तर अब चिंताजनक हो चुका है। सुबह ही गंगा अब खतरा बिंदु को पार कर चुकी हैं। ऐसे में गंगा की उफनाती लहरे लोगों की चिंता को बढ़ा रही हैं। तटवर्ती इलाकों से लोगों का पलायन शुरू हो चुका है। एक ओर जहां फसलें डूब चुकी हैं वहीं अब लोगों को रोजी रोटी का डर भी सताने लगा है।
वाराणसी के रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर रहा गंगा का पानी लगातार आम जनता की समस्या बढ़ा रहा है। बाढ़ का पानी लोगों की जिंदगी को जहां प्रभावित कर रहा है वहीं बारिश की वजह से तटवर्ती इलाकों में पलायन की भी दुश्वारी बढ़ गई है।
अब वाराणसी में आने वाले कुछ घंटों में गंगा का जलस्तर खतरा बिंदु को भी पार कर जाएगा। क्योंकि, चंबल का ही पानी नहीं बल्कि पहाड़ों पर बीते दिनों हुई जोरदार बरसात के बाद भारी वेग का रुख भी मैदानी इलाकों की ओर हो चला है। जो आने वाले दिनों में खतरा बन सकता है।
जानिए चंबल में आई बाढ़ से घड़ियालों के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इस साल आगरा परिक्षेत्र में आन रिकार्ड 136घोसले वन विभाग में दर्ज थे, जिसमें से लगभग पांच हजार से अधिक बच्चे अंडों से बाहर निकले होंगे। इन बच्चों को चंबल में अभी दो माह ही हुए हैं,
बाढ़ में बड़े घड़ियाल और मगरमच्छ भी 100-140 किलोमीटर तक बह जाते हैं, लेकिन वे लौट आते हैं लेकिन तेज बहाव के चलते बच्चे लौट नहीं पाते हैं।