जानिए बिल्वपत्र की महिमा, इसकी जड़ों में है महादेव का वास, जानें कहानी

बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापो का नाश होता है. बातें बिल्व वृक्ष की, बेलपत्र कहां से आया पार्वती की पौराणिक कथा बिल्वपत्र का महत्व बेलपत्र की कहानी.सावन, शिव रात्रि या साप्‍ताहिक सोमवार को शिव पूजा में भगवान महादेव की आराधना में बेल पत्र यानि बिल्‍व पत्रों को विशेष महत्‍व है.

माना जाता है कि आस्‍था के साथ शिवलिंग पर सिर्फ बिल्‍व पत्र ही अर्पित किये जाएं तब भी भगवान भोले अपने भक्‍त की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. आचार्य राहुल वशिष्ठ के अनुसार बिल्व पत्र के वृक्ष को ‘श्री वृक्ष’ और ‘शिवद्रुम’ भी कहते हैं. बिल्वाष्टक और शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र अत्यंत प्रिय हैं. मान्यता है कि बेल पत्र के तीनों पत्ते त्रिनेत्रस्वरूप् भगवान शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं. बिल्व पत्र के पूजन से सभी पापो का नाश होता है. बातें बिल्व वृक्ष की, बेलपत्र कहां से आया पार्वती की पौराणिक कथा बिल्वपत्र का महत्व बेलपत्र की कहानी.

बेलपत्र की कहानी

 एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया. चुंकि माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ. अत: इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं. वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी और पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं.

अब फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है. इस सभी रूपों के अलावा, मां लक्ष्मी का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है. बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है. भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं.

जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है अगर वह श्रावण मास में बिल्व के पेड़ के मूल भाग की पूजा करके उसमें जल अर्पित करे तो उसे सभी तीर्थों के दर्शन का पुण्य मिलता है.

बातें बिल्व वृक्ष की

 बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आतेअगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है
 वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है
 चारपांच छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है. सुबह शाम बेल वृक्ष 

दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है
 बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है
 बेल वृक्ष और सफेद आक को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है
 बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे.
 जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते है
 बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता हैकृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव कोकौन सी चीज चढाने से मिलता है क्या फल

किसी भी देवी-देवता का पूजन करते वक्त उनको अनेक चीजेअर्पित की जाती है. प्रायः भगवन को अर्पित की जाने वाली हर चीज का फल अलग होता है. शिव पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है की भगवन शिव को अर्पित करने वाली अलग-अलग चीजों का क्या फल होता है.

 जानिए शिव पुराण के अनुसार जानिए कौन सा अनाज भगवान शिव को चढ़ाने से क्या फल मिलता है

भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति होती है
तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है
 जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है
 गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती है. यह सभी अन्न भगवान को अर्पण करने के बाद गरीबों को वितरीत कर देना चाहिए

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Breaking News

Translate »
error: Content is protected !!
Coronavirus Update