डायबीटिज, अस्थमा, बीपी में भी होगा लाभ, योग से मोटापे, जानिए क्या कह रहे हैं
चिंता और खुशी में ज्यादा व गलत चीजें खाना। हमारी ज़िंदगी अगर ऐसे ही बीत रही है तो इसे बदलने का वक्त आ चुका है। एक्सपर्ट कहते हैं कि ज्यादातर आम बीमारियों की वजह हमारा गलत लाइफस्टाइल है। इसे सुधारने में योग सबसे ज्यादा मददगार होता है।
योग से मोटापे, डायबीटिज, अस्थमा, बीपी और मन की परेशानियों
कैसे राहत मिलती है, एक्सपर्ट्स से बात करके जानकारी दे रही हैं रजनी शर्माअगर हम यह समझते हैं कि योग का मतलब अपने शरीर को तोड़ मरोड़कर या खींचतान कर तरह-तरह के आकार बनाना है तो ऐसा बिलकुल नहीं है। योग में आहार-विहार यानी हमारे खानपान और रहन-सहन दोनों को सही करने पर जोर होता है जो कि हमारी गलतियों से बिगड़ते हैं।
अष्टांग योग के मुताबिक योग के 8 अंग हैं – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। आमतौर पर आसन, प्राणायाम और ध्यान का ही प्रयोग ज्यादा होता है और इसी क्रम में किया जाता है। लेकिन कुछ नियमों का पालन करना और अपने आहार-विहार पर ध्यान देना भी जरूरी है। यहां जानते हैं कि शरीर की इन स्थितियों में योग से किस तरह फायदा उठाया जा सकता है।
योग में सबसे पहले षट्क्रियाएं होती हैं जिसमें शरीर को डिटॉक्स किया जाता है। ये तरह-तरह की नेति, द्यौति आदि ये क्रियाएं किसी अच्छे योग गुरु के साथ या उनकी सलाह से ही करें हैं। इनसे मेटाबॉलिजम ठीक होता है। थायरॉइड ग्लैंड और पिट्यूटरी ग्लैंड पीयूष ग्रंथि ठीक से काम करती है।
इनके सही से काम नहीं करने पर ही परेशानियां होती हैं। योग को थेरपी की तरह अपनाते हैं तो योग संस्थान पांच क्रियाएं करने पर जोर देते हैं। पहला, शुद्धिकरण यानी डिटॉक्सिफिकेशन जो नौलि, द्यौति, शंख प्रक्षालन आदि से होता है। जिसे पहले महीने में एक बार, फिर 3 महीने बाद और फिर 6 महीने बाद कराया जाता है। इसके साथ ही आहार में बदलाव, योगासन, प्राणायाम और ध्यान होता है।
जब भी योग करें तो पेट खाली हो यानी सुबह के वक्त या शाम को तब जब खाना खाए हुए कम से कम 2 घंटे बीत चुके हों।
मोटापा का जब वजन पर काबू पाना हो
योग के मुताबिक, सबसे पहले खुद को जैसे हैं वैसा ही स्वीकार करें। खुद से प्यार करें। वजन घटाने की कोशिश में शरीर को सजा नहीं देनी। बिलकुल खाना छोड़ देना, बहुत ज्यादा दौड़ लगाना, बहुत ज्यादा कसरत करेंगे तो फायदा कम और नुकसान ज्यादा होगा। शरीर को चोट पहुंच सकती है। इससे शरीर में स्ट्रेस रहेगा तो और भी ज्यादा खाने की इच्छा होगी। ज्यादा वजन होने पर सहज रूप से जो योगासन कर सकें, सिर्फ वही करने चाहिए।
5 से 7 मिनट, दिन में 2 से 3 बार करें।
नाड़ीशोधन यानी अनुलोम विलोम नाक के लेफ्ट साइड से सांस लें और राइट से छोड़ें। फिर राइट से सांस लें और लेफ्ट से छोड़ें। सांस गहरी लें और जितनी देर सांस लेने में लगे उससे दोगुनी देर सांस छोड़ने में लगाएं। इसके लिए 4-7 की गिनती का फॉर्मूला अपना सकते हैं। शुरुआत में 10 राउंड, बाद में 25 सेकंड तक
राइट नासिका से सांस लेकर लेफ्ट से सांस छोड़ें। कुछ देर सांस को रोकें। सिर्फ उतना जितना आसानी से रोक सकें सूर्यभेदी प्राणायाम शरीर में गर्मी पैदा करता है। लेफ्ट से सांस लेंगे तो यह चंद्रभेदी होगा। शुरुआत में 9राउंड, बाद में 25 राउंड तक