नई दिल्ली: बीते कुछ समय से अलग-अलग महामारी और बीमारियों की कहर से जूझ रही
नई दिल्ली: बीते कुछ समय से अलग-अलग महामारी और बीमारियों की कहर से जूझ रही दुनिया के लिए बर्ड फ्लू को लेकर एक और डराने वाली खबर सामने आई है. डॉल्फिन और पोर्पोइज में बर्ड फ्लू की पुष्टि की गई है. वैज्ञानिकों ने बुधवार को कहा कि बीते वसंत ऋतु में फ्लोरिडा की एक नहर में मृत पाई गई एक बॉटलनोज डॉल्फिन में बर्ड फ्लू संक्रमण की पुष्टि हुई. इससे एक सप्ताह पहले स्वीडेन में पोर्पोइज में भी इसी तरह के संक्रमण की पुष्टि हुई थी. स्वीडिश अधिकारियों ने सूचना दी थी कि पोर्पोइज में भी उसी प्रकार का एवियन इन्फ्लूएंजा पाया गया था.
उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय पक्षियों के बीच एवियन फ्लू व्यापक रूप से फैल गया है. वायरस के इस संस्करण ने प्रजातियों की व्यापक श्रेणी को प्रभावित किया है. हालांकि, अभी तक समुद्री स्तनधारियों के एक समूह, जिसमें डॉल्फिन, पोर्पोइज और व्हेल शामिल हैं, में केवल दो मामलों की ही अब तक पुष्टि हुई है. मगर इन दो मामलों ने ही वैज्ञानिकों को शोध करने पर मजबूर कर दिया है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मेम्फिस में सेंट जूड चिल्ड्रन रिसर्च हॉस्पिटल के एक इन्फ्लूएंजा वायरोलॉजिस्ट रिचर्ड वेबी ने की मानें तो अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह वायरस आम तौर पर समुद्री स्तनधारी जीवों को भी संक्रमित करता है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से दो अलग-अलग महाद्वीपों पर दो अलग-अलग प्रजातियों में इसकी पुष्टि हुई है, उससे पता चलता है कि निश्चित रूप से इसके अन्य मामले भी होंगे.
डॉ. वेबी ने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर हमारी सर्विलांस एक्टिविटी इस तरह की केवल दो घटनाओं के लिए कभी भी संवेदनशील नहीं होती हैं, मगर अब हमारी टीम फॉलो-अप स्टडी के लिए फ्लोरिडा की टीम के साथ मिलकर काम कर रही है. बता दें कि डॉ. वेबी डॉल्फिन और पोर्पोइज में वायरस की प्रारंभिक पहचान की प्रक्रिया में शामिल नहीं थे.
बता दें कि बीते महीने अमेरिका में आयोवा प्रांत के एक पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद वहां 50 लाख से अधिक चूजों को मार डाला गया था. अमेरिका में तेजी से फैल रहे एवियन फ्लू को देखते हुए उत्तरी अमेरिका के चिड़ियाघर अपने पक्षियों को लोगों और अन्य वन्यजीवों से दूर कर रहे हैं. संक्रमित वन्य पक्षी कम से कम 24 प्रांतों में पाये गये हैं और यह वायरस करीब एक साल से यूरोप एवं एशिया में प्रवासी जलपक्षियों में संक्रमण फैला रहा है.