बढ़ती ब्याज दरों और महंगाई से परेशान है तो वहीं भारत का बाजार फुल पार्टी के मूड में

बाजार में आज जश्न का माहौल है. एक तरफ जहां दुनिया मंदी, बढ़ती ब्याज दरों और महंगाई से परेशान है तो वहीं भारत का बाजार फुल पार्टी के मूड में है. नए भारत का सूचकांक निफ्टी आज फिर 18 हजार के आंकड़े के पार निकल गया. ऐसा नहीं है कि ये मुकाम पहली बार निफ्टी ने छुआ है, लेकिन इस बार तेजी की बुनियाद काफी मजबूत है.

सबसे पहले नजर डालते हैं कुछ अहम आंकड़ों पर, जिसके बिना कहानी पूरी नहीं होती. जून में निफ्टी ने हाल का निचला स्तर छुआ था, वहां से बाजार करीब 18 फीसदी ऊपर है. तेजी में इस बार मिडकैप-स्मॉलकैप का अंदाज कुछ और ही है. इस तेजी में मिडकैप इंडेक्स 26 फीसदी और स्मॉलकैप इंडेक्स 23 फीसदी चढ़ा है. के मयूरेश जोशी के मुताबिक अच्छी क्वालिटी और बेहतर मैनेजमेंट वाले छोटे-मझौले शेयर आगे भी चल सकते हैं.इस तेजी के पीछे जो स्टेरॉयड काम कर रहा है,

वो है विदेशी निवेशकों यानी  का लौटना. पिछले महीनों को छोड़ दें तो  ने पूरे साल सिर्फ बिकवाली की है. महीने दर महीने FIIs बेच रहे थे और बाजार को सिर्फ घरेलू संस्थागत निवेशक यानी DIIs बचा रहे थे. अगस्त में FIIs ने भारत में 22,025 करोड़ का निवेश किया है जो नवंबर 2020 के बाद सबसे ज्यादा है. दिग्गज FII बैंक Julius Baer के मार्क मैथ्यूज के मुताबिक भारत में विदेशी निवेशकों का आना अभी लगातार जारी रहेगा. अब सवाल यह पैदा होता है कि अचानक ऐसा क्या हो गया कि विदेशी निवेशकों को भारत पसंद आने लगा. इसके कई अहम कारण हैं.

1. महंगाई की आंच से नहीं झुलसा भारत

एक तरफ जहां पूरी दुनिया मंदी और महंगाई से परेशान है तो वहीं भारत अभी इस आग की आंच से उतना नहीं छुलसा है. अमेरिका में महंगाई जहां 40 साल की ऊंचाई पर है. अमेरिकी सरकार और सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व दिन-रात चाह रहे हैं कि देश में मंदी आ जाए, वो लोगों की नौकरी जाए, रियल एस्टेट के भाव गिरे जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सके, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. महंगाई फेडरल रिजर्व का सिरदर्द बना हुआ है. फेड इस साल अबतक 3 बार दरें बढ़ा चुका है लेकिन महंगाई है कि काबू में आ ही नहीं रही. ऐसी स्थिति भारत में नहीं है. भारत में महंगाई करीब-करीब काबू में है. इसका असर ये है कि भारत के सेंट्रल बैंक RBI ने ब्याज दरें बढ़ाई तो हैं लेकिन दूसरे विकसित देशों के मुकाबले कम.

2. ग्रोथ की गति पर ब्रेक नहीं

एक तरफ अमेरिका है जो दिन रात चाह रहा है उसके देश में मंदी आ जाए, यूरोप जो पहले से मंदी की गिरफ्त में है और एक तरफ भारत है जो तेजी से दौड़ रहा है. इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की GDP ग्रोथ 13.5% रही है जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है. यही कारण है कि भारत तेजी से दौड़ते हुए दुनिया की पांचवीं बड़ी इकॉनॉमी बन गया. अब आप ही सोचिए कोई भी निवेशक डूबती इकोनॉमी में पैसा लगाएंगे या फिर चढ़ती हुई. मार्सेलस इंवेस्टमेंट के प्रमोद गुब्बी के मुताबिक भारत का आउटफरफॉर्मेंस आगे भी जारी रहेगी. मौजूदा स्तर से भी भारतीय बाजार 8-10% और दौड़ेंगे.

3. मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी

मोदी सरकार तेज और दमदार फैसलों के लिए जानी जाती है. मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि देश को अब मैन्युफैक्चरिंग मैप में चमकाना है. नतीजा निकला कि प्रोडक्शन लिंक इन्सेंटिव जैसी आकर्षक स्कीम लॉन्च की गई. 14 सेक्टर के लिए करीब 2 लाख करोड़ की स्कीम लाई गई. निवेशकों ने इसे हाथों हाथ लिया और चीन के विकल्प के तौर पर भारत को देखा जाने लगा.

4. कच्चा तेल और रुपया

कच्चे तेल में गिरावट ने महंगाई का पूरा टेंशन ही खत्म कर दिया. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जो ब्रेंट क्रूड 139 डॉलर तक पहुंच गया था वो आज 90 डॉलर के पास है. भारत अपनी एनर्जी जरूरतों का करीब 90 फीसदी इंपोर्ट करता है. इस गिरावट ने रुपये में कमजोरी को थाम दिया है. इस साल डॉलर इंडेक्स जहां 16 फीसदी टूटा है तो वहीं रूपया सिर्फ 7 फीसदी गिरा है.

 

5. कैपेक्स बूम

मॉर्गन स्टैनली ने अपनी हाल की रिपोर्ट में कहा है कि भारत कैपेक्स बूम की कगार पर खड़ा है. ब्रोकरेज हाउस के मुताबिक भारत का इनवेस्टमेंट रेट बढ़कर 36 फीसदी पहुंच सकता है जो पिछले साल 31 फीसदी था. कंपनी की उत्पादन क्षमता खत्म हो रही है. आज कंपनियों का क्षमता का इस्तेमाल 75.3 फीसदी है जो 10 साल के औसत से काफी ज्यादा है.

जारी रहेगी पार्टी

  रिसर्च के गौतम शाह की मानें तो बाजार नए बुल रन के लिए तैयार हो रहा है. बाजार के सारे इंजन यानी सेक्टर गर्म हैं. 18,000 के पार बाजार में नई जान आएगी और इसे नई ऊंचाई पर लेकर जाएगी. मार्सेलस इंवेस्टमेंट के प्रमोद गुब्बी के मुताबिक अगला दशक भारत का है. इसके कई नए सेक्टर आसमान को चूमेंगे. बाजार में बने रहने में ही फायदा है.

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